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Chaitra Navratri पर इस समय न करें कलश स्थापना, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और विशेष योग

चैत्र नवरात्र हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखने वाला पर्व है। इसे शक्ति उपासना का पर्व भी कहा जाता है। यह पर्व हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से आरंभ होकर राम नवमी तक चलता है।

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Abhishek Mishra
चैत्र नवरात्र 2025

चैत्र नवरात्र पर जानें घटस्थापना का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और विशेष योग

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता

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चैत्र नवरात्र हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखने वाला पर्व है। इसे शक्ति उपासना का पर्व भी कहा जाता है। यह पर्व हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से आरंभ होकर राम नवमी तक चलता है। इस दौरान भक्तजन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना करते हैं और व्रत रखते हैं। नवरात्रि में मां दुर्गा की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

चैत्र नवरात्र की तिथि और शुभारंभ

हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र नवरात्र 2025 की शुरुआत रविवार 30 मार्च से होगी। पंचांग गणना के अनुसार शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 30 मार्च को दोपहर 12:49 बजे तक रहेगी, जिसके कारण उदया तिथि के आधार पर नवरात्र इसी दिन आरंभ होगा। यह पर्व 8 अप्रैल को राम नवमी के साथ समाप्त होगा। इस दौरान भक्त माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना करते हैं और भक्ति भाव से पूजा-पाठ करते हैं।

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घटस्थापना का महत्व और शुभ समय

नवरात्रि में घटस्थापना (कलश स्थापना) का विशेष महत्व होता है। यह नवरात्रि पूजन का प्रथम और अत्यंत पवित्र कार्य माना जाता है। घटस्थापना के माध्यम से मां दुर्गा का आह्वान किया जाता है और पूरे नौ दिनों तक मां दुर्गा को आमंत्रित किया जाता है। इस वर्ष घटस्थापना के लिए 30 मार्च को दो शुभ मुहूर्त उपलब्ध हैं। पहला मुहूर्त सुबह 6:13 से 10:22 तक रहेगा, जो सबसे उत्तम समय माना जाता है। यदि भक्त सुबह घटस्थापना नहीं कर पाते हैं, तो अभिजीत मुहूर्त में दोपहर 12:01 से 12:50 तक घटस्थापना कर सकते हैं। इस दौरान कलश स्थापना करने से विशेष लाभ प्राप्त होगा और मां दुर्गा की कृपा बनी रहेगी।

घटस्थापना की विधि

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घटस्थापना करने से पहले पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल का छिड़काव करें। फिर मिट्टी के पात्र में जौ के बीज बोएं और उसमें थोड़ी-सी मिट्टी डालकर पानी छिड़कें। इसके बाद जल से भरे कलश में गंगाजल, सुपारी, दूर्वा, सिक्का और अक्षत डालें। कलश के मुख पर आम के पत्ते रखें और उसके ऊपर नारियल स्थापित करें। नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर मौली से बांधें। फिर माँ दुर्गा के सामने कलश स्थापित करें और पूजा करें। घटस्थापना के दौरान ‘ॐ देवी दुर्गायै नमः’ मंत्र का जाप करें और मां दुर्गा का आह्वान करें। इसके बाद मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र के सामने दीप जलाकर आरती करें और पूजन विधि संपन्न करें।

घटस्थापना के लिए शुभ योग

इस बार घटस्थापना के दिन विशेष शुभ योग बन रहे हैं, जो पूजन के फल को कई गुना बढ़ा देंगे। इस दिन इंद्र योग का निर्माण हो रहा है, जो शाम 4:54 बजे तक रहेगा। इसके साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है, जिसमें घटस्थापना करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इन शुभ योगों में पूजा करने से भक्तों को विशेष फल प्राप्त होंगे और माँ दुर्गा की कृपा बनी रहेगी।

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कब न करें घटस्थापना

शास्त्रों के अनुसार अमावस्या तिथि में घटस्थापना नहीं करनी चाहिए। इसके अलावा सूर्यास्त के बाद घटस्थापना वर्जित मानी जाती है। यदि सही मुहूर्त के बारे में संदेह हो तो किसी योग्य पंडित या ज्योतिषाचार्य से परामर्श लेना उचित रहेगा। सही समय पर घटस्थापना करने से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में शुभ फल मिलते हैं।

चैत्र नवरात्रि व्रत नियम और पूजन विधि

चैत्र नवरात्रि में व्रत रखने के लिए कुछ विशेष नियमों का पालन किया जाता है। नवरात्रि के पहले दिन भक्तजन संकल्प लेते हैं कि वे नौ दिनों तक मां दुर्गा की उपासना करेंगे और सात्विक जीवन का पालन करेंगे। इस दौरान प्याज, लहसुन और तामसिक भोजन से परहेज किया जाता है। भक्तजन केवल फलाहार करते हैं और मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए भजन-कीर्तन और मंत्र जाप करते हैं। सुबह और शाम के समय मां दुर्गा की पूजा करें, दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और दीप जलाकर आरती करें। यदि संभव हो, तो पूरे नवरात्र अखंड ज्योत जलाएं। अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन करें और उन्हें भोजन कराकर दक्षिणा दें।

राम नवमी और नवरात्रि का समापन

8 अप्रैल 2025 को राम नवमी के दिन नवरात्रि का समापन होगा। इस दिन मां दुर्गा की विशेष पूजा और हवन किया जाता है। इसके बाद भक्तजन व्रत का पारण करते हैं और ब्राह्मणों को भोजन कराकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। राम नवमी के दिन श्रीराम जन्मोत्सव मनाया जाता है, जिससे यह तिथि और भी शुभ मानी जाती है।

चैत्र नवरात्रि का आध्यात्मिक महत्व

चैत्र नवरात्रि केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यह ऋतु परिवर्तन का समय होता है, जब गर्मी का आगमन होता है। इस दौरान उपवास रखने से शरीर शुद्ध होता है और पाचन तंत्र मजबूत होता है। इसके अलावा, नवरात्र आत्मशुद्धि और साधना का समय भी होता है, जिससे व्यक्ति मानसिक और आत्मिक बल प्राप्त करता है।

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