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चैत्र नवरात्रि पर महाष्टमी पर विशेष योगों का संयोग Photograph: (YBN)
चैत्र नवरात्रि के पावन अवसर पर शनिवार को महाष्टमी का पर्व देशभर में श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ मनाया जा रहा है। देवी दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की आराधना के लिए आज का दिन अत्यंत शुभ माना जा रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाष्टमी पर देवी को विशेष भोग अर्पित कर कन्या पूजन करने से भक्तों को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
सर्वार्थसिद्धि और सुकर्मा योग में हो रही पूजा
वैदिक पंचांग के अनुसार इस वर्ष महाष्टमी पर सर्वार्थसिद्धि और सुकर्मा जैसे अत्यंत शुभ योगों का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही पंचग्रही, लक्ष्मी-नारायण और शुक्रादित्य योग भी आज के दिन को और अधिक फलदायी बना रहे हैं। पंडितों के अनुसार इन योगों में मां दुर्गा की उपासना से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
कन्या पूजन के लिए विशेष मुहूर्त
महाष्टमी पर कन्या पूजन का शुभ समय आज दिन में 11:59 बजे से 12:49 बजे तक रहेगा। मान्यता है कि नवरात्र के दौरान बालिकाओं में देवी का वास होता है। इसी कारण इस दिन उन्हें देवी स्वरूप मानकर पूजन और भोजन कराया जाता है। पंचांग के अनुसार चैत्र शुक्ल अष्टमी तिथि की शुरुआत 4 अप्रैल की रात 8:12 बजे हुई थी, जो आज यानी 5 अप्रैल की शाम 7:26 बजे तक रहेगी। इसके बाद नवमी तिथि आरंभ होकर 6 अप्रैल की शाम 7:22 बजे तक चलेगी। इसी क्रम में रामनवमी का पर्व रविवार 6 अप्रैल को मनाया जाएगा।
शांति और समृद्धि का प्रतीक
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार महागौरी देवी का स्वरूप उज्ज्वल और शांत है। इनके चार हाथ हैं और वाहन वृषभ है। इनकी आराधना से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है और सुख-शांति का वास होता है। विशेषकर अविवाहित कन्याओं और विवाह में बाधा झेल रहे जातकों के लिए महागौरी की पूजा अत्यंत कल्याणकारी मानी गई है।
पूजन के मुख्य समय
- प्रात: कालीन पूजन: सुबह 4:35 से 6:07 बजे तक
- अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:59 से 12:49 बजे तक
- विजय मुहूर्त: 2:30 बजे से 3:20 बजे तक
- संध्या पूजन: शाम 6:40 से 7:50 बजे तक
पूजन विधि और भोग
महाष्टमी पर श्रद्धालु प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं। इसके बाद कलश पूजन, दीप प्रज्वलन और दुर्गा स्तुति के साथ महागौरी की पूजा की जाती है। देवी को सफेद फूल, हलुआ, पूरी, चने और नारियल का भोग अर्पित किया जाता है। पूजन के बाद नौ कन्याओं को आमंत्रित कर उन्हें भोजन और दान देने की परंपरा है।
विशेष मंत्र
वंदना मंत्र:
“श्वेते वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा॥”
कन्या पूजन मंत्र:
“या देवी सर्वभूतेषु कन्या रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥”