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दलित-गरीबों के उत्थान की मिसाल बनी सरकार की योजनाएं
प्रदेश सरकार के नेतृत्व में बीते आठ वर्षों में समाज के दलित, वंचित और पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए बहुआयामी प्रयास किए गए हैं। शिक्षा, रोजगार, सामाजिक सुरक्षा और मूलभूत सुविधाओं जैसे अहम क्षेत्रों में चलाई गई योजनाओं ने न केवल इन वर्गों को मुख्यधारा से जोड़ा है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने का भी अवसर प्रदान किया है। राज्य सरकार की यह सक्रियता सामाजिक न्याय के सिद्धांतों को व्यवहार में उतारती दिख रही है।
दलित बच्चों के लिए सर्वोदय विद्यालय
शिक्षा को सामाजिक समरसता का आधार मानते हुए सरकार ने अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए प्रदेशभर में 100 सर्वोदय विद्यालयों की स्थापना की है। इन विद्यालयों में 60 प्रतिशत सीटें अनुसूचित जाति और 25 प्रतिशत सीटें अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों के लिए आरक्षित की गई हैं। वर्तमान में लगभग 2.65 लाख छात्र-छात्राएं इन स्कूलों में निःशुल्क शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इन स्कूलों में छात्रों को यूनिफॉर्म, पाठ्यपुस्तकें, स्टेशनरी, बैग और टैबलेट जैसी सुविधाएं भी दी जा रही हैं। मिर्जापुर के मड़िहान क्षेत्र में स्थित जयप्रकाश नारायण सर्वोदय बालिका विद्यालय को 'सेंटर ऑफ एक्सीलेंस' के रूप में विकसित किया गया है, जहां जेईई और नीट जैसे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाई जा रही है। टेक्नोलॉजी आधारित शिक्षा के लिए टीसीएस, खान अकादमी और एम्बाइब जैसी संस्थाओं से समझौते किए गए हैं।
छात्रवृत्ति योजनाओं से पढ़ाई में मिली रफ्तार
सरकार के चलाए जा रहे छात्रवृत्ति कार्यक्रमों से बड़ी संख्या में अनुसूचित जाति व जनजाति के विद्यार्थी लाभान्वित हो रहे हैं। बीते आठ वर्षों में अनुसूचित जाति के 33.38 लाख विद्यार्थियों को पूर्वदशम छात्रवृत्ति और 88.61 लाख छात्रों को दशमोत्तर छात्रवृत्ति दी गई है। वित्तीय वर्ष 2025-26 में अनुसूचित जातियों के लिए इन योजनाओं के तहत 968 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तावित किया गया है। वहीं, पिछड़े वर्गों के लिए छात्रवृत्ति, विवाह सहायता और कौशल विकास प्रशिक्षण जैसी योजनाओं पर 3,060 करोड़ रुपये से अधिक का प्रावधान किया गया है।
जनजातीय समाज को मिली मूलभूत सुविधाएं
प्रदेश की जनजातीय आबादी को भी सरकार की योजनाओं से भरपूर लाभ मिल रहा है। 'पीएम जनमन योजना' के तहत विशेष रूप से दुर्लभ जनजातियों (PVTG) को शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, सड़क, पेयजल, संचार और सौर ऊर्जा जैसी आवश्यक सुविधाएं दी जा रही हैं। बुक्सा जनजाति के सभी 815 परिवारों को इस योजना का लाभ देकर उन्हें मुख्यधारा से जोड़ा गया है। साथ ही, 42 वनग्रामों को राजस्व ग्राम में परिवर्तित कर उनका सर्वांगीण विकास सुनिश्चित किया गया है।
स्वरोजगार में भी आगे बढ़े दलित युवा
दलित युवाओं के लिए सरकार ने स्वरोजगार की दिशा में भी बड़ा अभियान चलाया है। उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम लिमिटेड के माध्यम से अब तक 1.08 लाख से अधिक युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ा गया है। सरकार ने करीब 955.49 करोड़ रुपये की ऋण सहायता देकर 1.20 लाख लोगों को आत्मनिर्भर बनाया है। इनमें अधिकांश लाभार्थियों को 50 प्रतिशत तक अनुदान भी प्रदान किया गया है।
प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना से बदली गांवों की सूरत
प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत प्रदेश के 1,951 दलित बहुल गांवों में 93,400 से अधिक विकास कार्य कराए गए हैं। इनमें सोलर स्ट्रीट लाइट, सामुदायिक शौचालय, स्वच्छ पेयजल, संपर्क मार्ग और सार्वजनिक भवनों का निर्माण शामिल है। इन कार्यों से करीब 19 लाख लोगों की जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव आया है।
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना बनी सहारा
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना गरीब, दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक वर्गों के लिए एक बड़ी राहत बनकर सामने आई है। अब तक इस योजना के अंतर्गत 2.20 लाख से अधिक दलित परिवारों की बेटियों की शादियाँ संपन्न करवाई गई हैं। साथ ही 1.30 लाख पिछड़े और 40,000 से अधिक अल्पसंख्यक परिवारों को भी इस योजना का लाभ मिला है। यह योजना केवल आर्थिक सहायता नहीं देती, बल्कि बेटियों को सम्मानजनक जीवन की ओर अग्रसर करती है।