लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश के छोटे और सीमांत किसानों की आय बढ़ाने और उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए 'मुख्यमंत्री कृषक समृद्धि योजना' शुरू करने की तैयारी कर ली है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस योजना को जल्द लागू करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार किसानों को कर्ज के बोझ से राहत दिलाने, उनकी खेती की पैदावार बढ़ाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। ऐसे में किसानों को सस्ते और आसान ऋण देने की व्यवस्था की जानी चाहिए। यह नई योजना इस दिशा में एक मजबूत कदम साबित होगी।
ऋण वितरण क्षमता बढ़ाएं सहकारी बैंक
सहकारिता विभाग की सोमवार को हुई समीक्षा बैठक में इस योजना की रूपरेखा प्रस्तुत की गई। मुख्यमंत्री ने इसे एक दूरदर्शी और किसान-हितैषी पहल बताया। उन्होंने कहा कि नाबार्ड और सहकारी बैंकों की भागीदारी इस योजना की सफलता के लिए जरूरी होगी और इसमें उनकी सक्रिय भूमिका सुनिश्चित की जाए। सीएम योगी ने कहा कि योजना का क्रियान्वयन प्रभावी और समयबद्ध हो। इसके लिए सहकारी बैंकों की ऋण वितरण क्षमता को बढ़ाने, शाखाओं के आधुनिकीकरण हेतु वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने और किसानों तक ऋण की सुगमता सुनिश्चित करने पर बल दिया गया। उन्होंने निर्देश दिया कि योजना का विस्तृत प्रस्ताव शीघ्र तैयार कर प्रस्तुत किया जाए। मुख्यमंत्री ने बैठक के दौरान सहकारिता क्षेत्र की समग्र समीक्षा करते हुए सहकारी संस्थाओं की भूमिका को और अधिक प्रभावी बनाने पर बल दिया। उन्होंने विशेष रूप से लघु और सीमांत किसानों की आय में वृद्धि, पारदर्शिता और दक्षता को सहकारिता क्षेत्र की प्राथमिकताओं में शामिल करने के निर्देश दिए।
सहकारी बैंकों और संस्थाओं की आर्थिक प्रगति
अधिकारियों के प्रस्तुत विवरण के अनुसार उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड का ऋण वितरण वर्ष 2017 में 9,190 करोड़ से बढ़कर वर्ष 2025 में 23,061 करोड़ तक पहुँच गया है, वहीं शुद्ध लाभ 100.24 करोड़ हो गया है। इसी अवधि में जिला सहकारी बैंकों का कुल व्यवसाय 28,349 करोड़ से बढ़कर 41,234 करोड़ तक पहुँच गया और शुद्ध लाभ 162 करोड़ दर्ज किया गया। पिछले आठ वर्षों में प्रदेश में फसली ऋण 11,516 करोड़ एवं दीर्घकालिक ऋण 393 करोड़ वितरित किया गया। उर्वरक वितरण 34.45 लाख मीट्रिक टन, धान खरीद 25.53 लाख मीट्रिक टन और दलहन-तिलहन खरीद 1.94 लाख मीट्रिक टन रही।
भंडारण क्षमता में बड़ा विस्तार
भंडारण क्षमता में वृद्धि के लिए एआईएफ योजना के तहत 375 गोदामों का निर्माण कर 37,500 मीट्रिक टन की क्षमता विकसित की गई है। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत 2017 से अब तक 1,060 गोदामों के माध्यम से 1,17,350 मीट्रिक टन की क्षमता सृजित की गई है। वर्ष 2025-26 में 100 नए गोदामों का निर्माण प्रस्तावित है। इसके अतिरिक्त, देश की सबसे बड़ी अन्न भंडारण योजना के अंतर्गत 16 जिलों में 24 बी-पैक्स केंद्रों पर 500 से 1000 मीट्रिक टन क्षमता के गोदामों का प्रस्ताव है। मुख्यमंत्री ने भंडारण क्षमता और बढ़ाए जाने की आवश्यकता जताते हुए निर्देश दिए कि निजी क्षेत्र की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए एक उपयुक्त नीति तैयार की जाए। साथ ही, पीसीएफ की कार्यप्रणाली में व्यापक सुधार लाने और राइस मिलर्स के भुगतान तत्काल सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
रिक्त पदों पर भर्ती और एम-पैक्स समितियों का विस्तार
मुख्यमंत्री ने सहकारी क्षेत्र में रिक्त बैंकिंग एवं नॉन-बैंकिंग पदों की शीघ्र भर्ती के लिए आईबीपीएस के माध्यम से चयन प्रक्रिया तेज करने को कहा। इससे सहकारी संस्थाओं की कार्यक्षमता और सेवा की गुणवत्ता में सुधार होगा। एम-पैक्स समितियों की व्यावसायिक गतिविधियों में भागीदारी पर भी चर्चा हुई। मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि इन्हें पीडीएस, जन औषधि, सीएससी, पीएम किसान सम्मान केंद्र और एमएसपी जैसी गतिविधियों से जोड़ा गया है। कंप्यूटरीकरण की प्रगति के तहत प्रथम चरण में 1,539, द्वितीय चरण में 1,523 और तृतीय चरण में 2,624 एम-पैक्स समितियों का कंप्यूटरीकरण किया जा रहा है।
कंप्यूटरीकरण और साइबर सुरक्षा को बढ़ावा
साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए बताया गया कि उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड एवं राज्य के 50 जिला सहकारी बैंकों को नाबार्ड के सीबीएस क्लाउड प्लेटफॉर्म से जोड़ा जा रहा है। सीएम योगी ने कहा कि सहकारी संस्थाओं को आत्मनिर्भर बनाते हुए तकनीक, ऋण और विपणन तक किसानों की पहुंच सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि सहकारिता के माध्यम से प्रदेश के किसानों को समृद्ध और सशक्त बनाना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है, जिसके लिए नीतिगत सुधारों के क्रम सतत जारी रखा जाए।