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UP News : बिना नक्शा छोटे भूखंड पर बना सकेंगे व्यवसायिक व आवासीय भवन, नियमों में अहम बदलाव, मिलेंगी नई सुविधाएं

आवास विभाग ने भवन निर्माण एवं विकास उपविधि-2025 को तैयार किया है, जिसके तहत पुराने नियमों को संशोधित किया गया है। इन नए नियमों से न केवल नागरिकों को राहत मिलेगी, बल्कि शहरों के विकास में भी तेजी आएगी।

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Abhishek Mishra
Commercial residential buildings can built small plots without map

अब बिना नक्शा छोटे भूखंड पर बना सकेंगे व्यवसायिक व आवासीय भवन

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता

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उत्तर प्रदेश में शहरी विकास और आवासीय सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए प्रदेश सरकार ने एक अहम कदम उठाया है। अब रिहायशी इलाकों में भी दुकानें खोली जा सकेंगी और भवन निर्माण से जुड़े कई पुराने नियमों में संशोधन किया गया है। इस बदलाव के तहत 24 मीटर या उससे अधिक चौड़ी सड़कों पर स्थित आवासीय भूखंडों में व्यावसायिक गतिविधियों की अनुमति मिलेगी। साथ ही भवनों की ऊंचाई पर किसी भी प्रकार का प्रतिबंध नहीं रहेगा, जिससे शहरों में बहुमंजिला इमारतों का निर्माण आसान होगा।

शहरों के विकास में आएगी तेजी

आवास विभाग ने भवन निर्माण एवं विकास उपविधि-2025 को तैयार किया है, जिसके तहत पुराने नियमों को संशोधित किया गया है। इन नए नियमों से न केवल नागरिकों को राहत मिलेगी, बल्कि शहरों के विकास में भी तेजी आएगी। इस मसौदे पर जनता से सुझाव और आपत्तियां 15 दिनों तक मांगी गई हैं। सुझावों के आधार पर इस उपविधि को अंतिम रूप दिया जाएगा, जिसके बाद यह कैबिनेट की मंजूरी से लागू हो जाएगी।

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छोटे और बड़े व्यापारियों के लिए यह अवसर

नए नियमों के तहत सबसे बड़ा बदलाव यह है कि अब 24 मीटर या उससे अधिक चौड़ी सड़कों पर स्थित रिहायशी भूखंडों में व्यवसायिक गतिविधियां की जा सकेंगी। इससे एक तरफ जहां दुकानों का संचालन संभव होगा, वहीं दूसरी ओर छोटे और बड़े व्यापारियों के लिए यह अवसर पैदा करेगा। पहले ऐसा कोई प्रावधान नहीं था, जिससे व्यवसायिक गतिविधियों के लिए आवासीय क्षेत्रों का उपयोग किया जा सके। इसके अलावा अब रिहायशी भवनों की ऊंचाई पर कोई विशेष प्रतिबंध नहीं रहेगा, जिससे बहुमंजिला इमारतों का निर्माण किया जा सकेगा। इससे शहरों में जगह की कमी को कम करने में मदद मिलेगी, और लोग किफायती दरों पर फ्लैट्स और अपार्टमेंट्स खरीद सकेंगे।

छोटे भूखंडों पर निर्माण में मिलेगी छूट

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रिहायशी और कमर्शियल भूखंडों पर भी बदलाव किए गए हैं। अब 100 वर्ग मीटर तक के भूखंड पर आवासीय भवन और 30 वर्ग मीटर तक के भूखंड पर कमर्शियल भवन बनाने के लिए नक्शा पास कराने की आवश्यकता नहीं होगी। इसका मतलब यह है कि छोटे भूखंडों पर भी बिना किसी जटिल प्रक्रिया के निर्माण की अनुमति मिलेगी। इसके अतिरिक्त अब 500 वर्ग मीटर तक के आवासीय और 200 वर्ग मीटर तक के व्यावसायिक भूखंडों पर नक्शा पास कराने की आवश्यकता रहेगी। हालांकि, यदि कोई व्यक्ति अपना घर आर्किटेक्ट, डॉक्टर, वकील, सीए या होमस्टे जैसी पेशेवर सेवाओं के लिए उपयोग करना चाहता है, तो वह अपने घर का 25 प्रतिशत हिस्सा व्यावसायिक उपयोग के लिए खोल सकता है। इसके लिए भी पार्किंग की व्यवस्था अनिवार्य होगी।

मल्टी-स्टोरी इमारतों के लिए नए मानक

सरकार ने मल्टी-स्टोरी इमारतों के निर्माण के लिए भी नए मानक तय किए हैं। अब 150 वर्ग मीटर भूमि पर मल्टी-स्टोरी इमारतें बनाई जा सकेंगी, जबकि पहले इसके लिए न्यूनतम भूखंड 1000 वर्ग मीटर था। इसी प्रकार, समूह आवास (ग्रुप हाउसिंग) के लिए भूमि क्षेत्रफल को घटाकर 1000 वर्ग मीटर (बिल्ट-अप) और 1500 वर्ग मीटर (नॉन-बिल्टअप) कर दिया गया है। इससे शहरी इलाकों में अधिक फ्लैट्स बनाए जा सकेंगे और शहरी क्षेत्र की बढ़ती जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए अधिक सुविधाएं प्रदान की जा सकेंगी।

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आवासीय निर्माण के लिए त्वरित प्रक्रिया

नई भवन निर्माण उपविधि के तहत अब निर्माण कार्यों के लिए विभिन्न विभागों से आवश्यक एनओसी प्राप्त करने की प्रक्रिया को सरल और त्वरित बनाया जाएगा। इससे नागरिकों को समय की बचत होगी और लंबी प्रक्रिया से राहत मिलेगी। पहले कई महीनों तक एनओसी प्राप्त नहीं हो पाती थी, लेकिन नए नियमों के तहत इसे एक निश्चित समय सीमा के भीतर जारी किया जाएगा।

कमर्शियल-आवासीय भवनों के लिए नए एफएआर मानक

अब 24 मीटर चौड़ी सड़कों पर स्थित रिहायशी भवनों में व्यावसायिक गतिविधियों के संचालन के लिए फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) को 300 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया है। इससे शहरों में कम भूमि पर अधिक निर्माण संभव होगा। इस व्यवस्था के तहत 45 मीटर या उससे ज्यादा चौड़ी सड़कों पर भी ऊंची इमारतें बनाई जा सकेंगी। साथ ही सात मीटर चौड़ी सड़कों पर हेरिटेज होटल, नौ मीटर पर छोटे अस्पताल और प्राथमिक विद्यालय, और 18 मीटर चौड़ी सड़कों पर शॉपिंग मॉल बनाने की अनुमति दी जाएगी। जिन भवनों को ग्रीन रेटिंग प्राप्त होगी, उन्हें अतिरिक्त एफएआर का लाभ मिलेगा। इससे पर्यावरण के अनुकूल भवनों का निर्माण बढ़ेगा और शहरों में प्रदूषण कम करने में मदद मिलेगी।

ऊंचाई और सेटबैक नियमों में बदलाव

नए नियमों के तहत 15 मीटर तक ऊंचे भवनों के लिए चारों ओर 5 मीटर का सेटबैक अनिवार्य किया गया है, जबकि 51 मीटर से अधिक ऊंची इमारतों के लिए आगे की ओर 15 मीटर और अन्य तीनों दिशाओं में 12 मीटर का सेटबैक निर्धारित किया गया है। इस बदलाव से भवनों के निर्माण में लचीलापन आएगा और जमीन का अधिकतम उपयोग संभव होगा। नई उपविधि से उम्मीद की जा रही है कि नगर नियोजक केके गौतम के अनुसार, एफएआर बढ़ाने, भूखंड के आकार को घटाने और ऊंचाई पर प्रतिबंध हटाने से अधिक फ्लैट्स का निर्माण होगा, जिससे आवास की कीमतों में कमी आएगी। इससे आम नागरिकों को सस्ते और सुलभ आवास प्राप्त हो सकेंगे।

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