लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। शहर में बाल भिक्षावृत्ति, बाल श्रम और बेसहारा बच्चों की स्थिति में सुधार के लिए लखनऊ प्रशासन ने एक बड़ा कदम उठाया है। मंडलायुक्त डॉ. रोशन जैकब की अध्यक्षता में शुक्रवार को इस मुद्दे पर बैठक आयोजित की गई, जिसमें विभिन्न विभागों और स्वयंसेवी संगठनों के बीच समन्वय बनाकर ठोस कार्रवाई करने पर सहमति बनी। मंडलायुक्त ने स्पष्ट कहा कि चौराहों और भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में बच्चों से कराई जा रही भीख की प्रवृत्ति अब और बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई हो और जरूरत पड़ने पर एफआईआर भी दर्ज की जाए।
बचपन को मिले शिक्षा न कि कटोरा
मंडलायुक्त ने कहा कि कोई भी बच्चा कटोरे के साथ नहीं, बल्कि किताबों के साथ नजर आए। ऐसे बच्चों और उनके परिजनों को तुरंत रेस्क्यू कर सरकार की योजनाओं से जोड़ने को कहा गया है। इस अभियान में नगर निगम, समाज कल्याण विभाग, महिला एवं बाल विकास, डूडा, जिला पूर्ति विभाग और एनजीओ की संयुक्त भूमिका तय की गई है। सभी विभागों को निर्देशित किया गया है कि वे समन्वय बनाकर बच्चों को शिक्षा, सुरक्षा और पुनर्वास का अवसर दें। बैठक में यह जानकारी दी गई कि शहर की उन अवैध बस्तियों को हटाया जा चुका है जहां से बच्चों को भिक्षावृत्ति में लगाया जा रहा था। अब उन क्षेत्रों में विशेष शिविर लगाकर पात्र लोगों को आवास, राशन, पेंशन और अन्य योजनाओं से जोड़ने की कार्यवाही की जाएगी।
NGO को सौंपी गई आश्रय गृहों की जिम्मेदारी
महिला और पुरुष बेसहारा लोगों के लिए अलग-अलग शॉर्ट स्टे होम चिन्हित किए गए हैं। ‘अपना घर’ संस्था को महिलाओं और बालिकाओं के देखरेख की जिम्मेदारी दी गई है, जबकि ‘उम्मीद व बदलाव’ संस्था पुरुषों के पुनर्वास का काम देखेगी। डॉ. जैकब ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि कोई परिवार सरकार की सहायता लेने के बाद दोबारा भीख मांगते पाया गया, तो उसे योजना से वंचित कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार का स्पष्ट निर्देश है कि कोई भी बच्चा भूखा या बेसहारा न रहे। इसी दिशा में यह अभियान पूरी गंभीरता से चलाया जा रहा है और प्रशासनिक अमले को फील्ड में जाकर कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।