लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। यूपी में सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार और तबादलों में पैसों के लेनदेन पर सियायत गरमा गई है। इस मुद्दे पर विपक्ष लगातार योगी सरकार पर तीखे हमले कर राह है। इसी कड़ी में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ से भ्रष्टाचार के मामलों गंभीरता से संज्ञान लेकर दोषियों पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की है।
तबादलों में हिस्सेदारी शर्मनाक
मायावती ने शुक्रवार को एक्स पर लिखा कि देश के अधिकतर प्रदेशों की तरह यूपी में भी हर स्तर पर सरकारी कार्यकलापों के साथ ही विभिन्न विभागों में भ्रष्टाचार और हिस्सेदारी के आरोपों से घिरे तबादलों की अनवरत आम चर्चा व खबरों का मुख्यमंत्री को कड़ा संज्ञान लेकर ना सिर्फ भ्रष्टाचार निरोधक विजिलेन्स विभाग आदि को सक्रिय करना बल्कि समयबद्ध एसआईटी का भी गठन करके व्यवस्था में आवश्यक सुधार करना जन व देशहित में जरूरी है। सरकारी भ्रष्टाचार व अफसरों की द्वेषपूर्ण मनमानी पर यूपी सीएम जितना जल्द सख्त कदम उठाए उतना बेहतर।
अखिलेश यादव ने कसा तंज
इससे पहले अखिलेश यादव ने गुरुवार को इस मुद्दे पर सरकार को घेरा था। उन्होंने एक पर लिखा कि जिसको ट्रांसफर में नहीं मिला हिस्सा वही राज खोलके सुना रहा है किस्सा। सच तो ये है कि कई मंत्रियों ने ट्रांसफ़र की फाइल की ‘फ़ीस’ नहीं मिलने पर फाइल लौटा दी है। सुना तो ये था कि इंजन ईंधन की माँग करता है पर यहां तो डिब्बा तक अपने ईंधन के जुगाड़ में लगा है।
सीएम ने जांच के दिए आदेश
बता दें कि स्टांप एवं पंजीयन विभाग में हुए तबादलों में बड़े पैमाने पर पैसे के लेनदेन की शिकायत पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त रुख अपनाते हुए कड़ी कार्रवाई की है। सीएम ने महानिरीक्षक निबंधक (आईजी स्टांप) समीर वर्मा को हटाकर प्रतिक्षारत कर दिया है। इसके साथ उनके द्वारा किए गए सभी 210 तबादलों को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है। मुख्यमंत्री ने यह कार्रवाई स्टांप एवं पंजीयन राज्यमंत्री रवींद्र जायसवाल की शिकायत पर की है। जायसवाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर आईजी स्टांप द्वारा किए गए तबादलों में भ्रष्टाचार की शिकायत की थी। सीएम ने मामले की जांच कराने के भी आदेश दिए हैं।