लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता
राजधानी में दलित महिला से दुष्कर्म के मामले में आदेश का पालन नहीं होने पर अदालत ने सख्त रुख अपनाया है। लखनऊ के एससी-एसटी एक्ट के विशेष न्यायाधीश विवेकानंद त्रिपाठी ने इस मामले ने जिलाधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी कर सात मार्च को अदालत में व्यक्तिगत तौर पर हाजिर होने का आदेश दिया है। बता दें कि दुष्कर्म पीड़िता ने एक बच्ची को भी जन्म दिया था।
समिति गठन का आदेश
कोर्ट ने कहा कि इस मामले में जिलाधिकारी को 16 फरवरी तक जिला स्तरीय सतर्कता और मॉनिटरिंग समिति का गठन करने का आदेश दिया था। जिससे एससी—एसटी वर्ग पर होने वाले अत्याचारों को रोका जा सके। इसके बाद 19 फरवरी को भेजे गए पत्र में पीड़िता और उसकी बच्ची को मुआवजा और पुनर्वास दिलाकर सूचित करने का आदेश दिया था।
आदेश न मानने पर एक हफ्ते की सजा
अदालत ने चेतावनी देते हुए कहा कि डीएम जानबूझकर अनुसूचित जाति-जनजाति नियमों के मामले में उपेक्षा करते हैं तो बीएनएसएस की धारा 384 के तहत उन पर एक हजार रुपये से ज्यादा का जुर्माना लगाया जा सकता है। जुर्माना नहीं देने पर उन्हें एक महीने तक की साधारण कैद हो सकती है। इसके अलावा अगर वह आदेश का पालन करने से इनकार कर जिद पर अड़े रहते हैं तो बीएनएसएस की धारा 388 के तहत उन्हें एक हफ्ते की साधारण कैद का आदेश लागू किया जायेगा।
डीएम को 19 फरवरी को भेजा गया पत्र
चिनहट थाने में दर्ज मुकदमे को लेकर कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि 19 फरवरी को डीएम लखनऊ को एक पत्र भेजा गया था। इस पत्र में उन्हें आदेश दिया गया था कि वह 26 फरवरी तक अदालत को बताएं कि पीड़िता और उसकी बच्ची को एससी-एसटी एक्ट की धारा 15 (क) के तहत मुआवजा और पुनर्वास दिलाया गया या नहीं। लेकिन अभी तक डीएम ने इसका जवाब नहीं दिया है।