लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। प्रदेश सरकार ने सामाजिक समावेशन को धरातल पर उतारते हुए दिव्यांगजनों के जीवन में नई उम्मीदें जगाई हैं। राज्य में संचालित दिव्यांगजन शादी-विवाह प्रोत्साहन पुरस्कार योजना ने लाभार्थियों को केवल आर्थिक सहायता ही नहीं दी, बल्कि समाज में स्वीकृति और समानता का नया विचार स्थापित किया है। यह योजना अब एक संवेदनशील पहल से आगे बढ़कर सामाजिक सोच में परिवर्तन की प्रतीक बन चुकी है।
अब तक इतने दिव्यांग दंपत्तियों को मिला लाभ
वर्ष 2017-18 से अब तक 5,893 दिव्यांग दंपत्तियों को इस योजना के माध्यम से लाभ मिल चुका है। योजना के अंतर्गत यदि वर दिव्यांग है तो 15,000 रुपये, वधू दिव्यांग हो तो 20,000 रुपये और यदि दोनों दिव्यांग हों तो 35,000 रुपये की सहायता राशि ई-पेमेंट के माध्यम से सीधे बैंक खातों में दी जाती है। इस प्रक्रिया में पारदर्शिता और त्वरितता सुनिश्चित की गई है, ताकि लाभार्थियों को किसी भी प्रकार की परेशानी न हो।
पारदर्शी और त्वरित ऑनलाइन आवेदन की सुविधा
प्रदेश सरकार ने बीते वित्तीय वर्ष 2024-25 में इस योजना के लिए 264 लाख रुपये का बजटीय प्रावधान किया गया था, जिसके अंतर्गत 1131 दिव्यांग दंपत्तियों को लाभ पहुंचाने का लक्ष्य तय किया गया है। सरकार के 819 पात्र दंपत्तियों की पहचान कर इसका सीधा लाभ उन्हें दिया है। प्रदेश का दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग प्रदेश में भर में ऐसे दंपतियों की पहचान करती है और उन्हें विवाह के उपरांत ऑनलाइन आवेदन के जरिए योजना का लाभ दे रही है। इसके लिए बकायदा विभाग द्वारा जागरूकता अभियान की चलाया जाता है। योगी सरकार के प्रयासों से धीरे-धीरे लोगों की सोच बदल रही है और दिव्यांगजनों के प्रति लोगों का सकारात्मक रवैया देखने को मिल रह है। यही वजह है कि योग सरकार की यह योजना लगातार प्रगति कर रही है।
सामाजिक स्वीकृति और समानता की ओर बढ़ता कदम
सरकार का यह प्रयास सामाजिक भेदभाव को मिटाकर एक समरस और सशक्त समाज के निर्माण की दिशा में एक मजबूत कदम है। योजना यह संदेश देती है कि दिव्यांगता कोई कमी नहीं, बल्कि जीवन की एक विशेषता है, और ऐसे व्यक्तियों को जीवनसाथी मिलने पर राज्य सरकार उनका खुले दिल से स्वागत कर रही है। इस योजना को लेकर पिछड़ा वर्ग एवं दिव्यांगजन सशक्तीकरण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नरेंद्र कश्यप ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में हमारी सरकार दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर और सम्मानित जीवन देने के लिए प्रतिबद्ध है। यह योजना केवल आर्थिक मदद नहीं, बल्कि सामाजिक बराबरी का प्रतीक है। जो लोग दिव्यांगों के साथ जीवन बिता रहे हैं, वे समाज को एक सकारात्मक दिशा दे रहे हैं और सरकार उनके साथ खड़ी है।