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उपभोक्ता परिषद का बड़ा आरोप : निजीकरण के लिए चयनित सलाहकार कंपनी के दस्तावेजों में गड़बड़ी, बिडिंग कागजात सार्वजनिक हों

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि 42 जिलों की बिजली व्यवस्था के निजीकरण के लिए चयनित संभावित सलाहकार कंपनी के योग्यता संबंधी दस्तावेजों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी है।

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Deepak Yadav
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सलाहकार कंपनी के दस्तावेजों में गड़बड़ी

सलाहकार कंपनी के दस्तावेजों में गड़बड़ी Photograph: (YBN)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता

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पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण (DVVNL-PuVVNL Privatisation) के लिए सलाहकार चयन का टेंडर खुल चुका है। बिडिंग में चयनित संभावित सलाहकार कंपनी के दस्तावेजों में गड़बड़ी का मामला सामने आया है। इतना ही नहीं टेंडर में भाग लेने वाली तीनों कंपनियों के टेंडर को पोर्टल पर छिपा दिया गया है। जिससे संदेह की स्थिति बन गई है। उपभोक्ता परिषद ने टेंडर प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाते हुए तीनों कंपनियों के कागजात सार्वजनिक करने की मांग की है।

जांच के घेरे में टेंडर मूल्यांकन कमेटी

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आरोप लगाते हुए कहा कि 42 जिलों की बिजली व्यवस्था के निजीकरण के लिए चयनित संभावित सलाहकार कंपनी के योग्यता संबंधी दस्तावेजों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी है। उन्होंने मांग की कि पावर कॉरपोरेशन तीनों कंसल्टेंट कंपनियों के पार्ट वन में जमा किए गए सभी टेंडर दस्तावेजों को सार्वजनिक करें। उन्होंने दावा किया कि ऐसा होने पर वह महज एक घंटे में यह साबित कर देंगे कि कौन से दस्तावेज वैध हैं और कौन से नहीं। अवधेश वर्मा ने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया में सबसे ज्यादा जांच के घेरे में पावर कॉरपोरेशन की टेंडर मूल्यांकन कमेटी है। उसने जल्दबाजी में किसी भी दस्तावेज को सत्यापित नहीं किया। केवल ऊपरी दबाव में औपचारिकता की।

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दस्तावेजों की प्रमाणिकता की अनदेखी

परिषद अध्यक्ष ने कहा कि मूल्यांकन कमेटी की जिम्मेदारी थी कि वह सबसे पहले टेंडर की वैधता और योग्यता की सही तरीके से जांच करती। उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए था कि टेंडर में जमा किए गए दस्तावेज कितने सही और प्रमाणिक हैं। पावर कारपोरेशन की जल्दबाजी से ऐसा लगता है कि टेंडर प्रक्रिया में जो कागज लगाए गए हैं उसको देखना कि उनको फुर्सत ही नहीं थी।

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