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दुर्लभ सर्जरी के जरिए बच्चे की 14 सेमी पूंछ निकाली, बलरामपुर अस्पताल के डॉक्टरों को मिली सफलता

बच्चे में जन्म से रीढ़ की हड्डी की जन्मजात विकृति (स्पाइना बिफिडा ऑक्ल्टा) के कारण पूंछ विकसित हो गई थी। इसमें खिंचाव और हलचल पर होने पर बच्चे को तेज दर्द होता था।

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Deepak Yadav
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जन्मजात पूंछ से परेशान बच्चे की सफल सर्जरी Photograph: (YBN)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। बलरामपुर अस्तपताल के डॉक्टरों ने दुलर्भ और जटिल जन्मजात विकृति से पीड़ित डेढ साल के बच्चे की सफल सर्जरी की। बच्चे में जन्म से रीढ़ की हड्डी की जन्मजात विकृति (स्पाइना बिफिडा ऑक्ल्टा) के कारण पूंछ विकसित हो गई थी। इसमें खिंचाव और हलचल पर होने पर बच्चे को तेज दर्द होता था। डॉक्टर्स ने बच्चे की पूंछ (टेल) का ऑपरेशन कर उसे हटाने में कामयाबी हासिल की। 

दर्द से जूझते बच्चे को मिली राहत

लखीमपुर के रहने वाले सुशील कुमार ने बताया कि उनके बच्चे के जन्म के समय ही पीठ के निचले हिस्से में एक असामान्य उभार था। इसका आकार तेजी से बढ़ने लगा। इसमें दर्द की समस्या भी बढ़ती गई। उन्होंने बच्चे को कई अस्तपालों में दिखाया, लेकिन वहां ऑपरेशन का जोखिम कोई नहीं लेना चाहता था। अंतत: वह बलरामपुर अस्तपताल की ओपीडी पहुंचे। यहां वरिष्ठ बाल शल्य चिकित्सक डॉ. अखिलेश कुमार ने बच्चे का इलाज शुरू किया।

14 सेंटीमीटर लंबी पूंछ को हटाया

डॉ. अखिलेश कुमार ने बताया कि बच्चे की एमआरआई, एक्सरे, अल्ट्रासाउंड और खून की जांच के बाद ऑपरेशन का ​फैसला किया गया। परिजनों की सहमति पर बच्चे सर्जरी की गई। ऑपरेशन के दौरान रीढ़ की हड्डियों (वर्टिब्रा) के बीच स्पाइनल कॉर्ड की झिल्लियों से घनी रूप से जुड़ी 14 सेंटीमीटर लंबी पूंछ को हटाया गया। सर्जरी सफल रही और अब पूरी तरह ठीक है। वह फिलहाल पीडियाट्रिक वार्ड तीन भर्ती है। एक से दो दिन में उसे डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। डॉ. अखिलेश ने बताया कि गर्भ में अधिकांश नवजातों की एक पूंछ उगती है, जो आठ सप्ताह तक गायब हो जाती है। कभी-कभी भ्रूण की पूंछ गायब नहीं होती है और बच्चा इसके साथ पैदा होता है। 

सर्जरी करने वाली टीम

डॉ. अखिलेश कुमार, एनेस्थीसिया टीम डॉ. एसए मिर्ज़ा, डॉ. एमपी सिंह, नर्सिंग एवं सहायक स्टाफ निर्मला मिश्रा, अंजना सिंह, डॉ. मनीष वर्मा (इंटर्न)।

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निदेशक डॉ. कविता आर्या ने बताया कि बलरामपुर अस्पताल में उपलब्ध विशेषज्ञता और उन्नत सुविधाएं हमें ऐसे दुर्लभ जन्मजात मामलों को सफलतापूर्वक संभालने में सक्षम बनाती हैं। यह ऑपरेशन हमारी बाल स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और चिकित्सकों की प्रतिबद्धता का उत्कृष्ट उदाहरण है।

मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. हिमांशु चतुर्वेदी ने बताया यह एक अत्यंत चुनौतीपूर्ण मामला था, जिसे हमारी टीम ने अत्यंत कुशलता के साथ सफलतापूर्वक पूरा किया। बलरामपुर चिकित्सालय ऐसी जटिल बाल शल्य चिकित्सा में अग्रणी भूमिका निभाता रहेगा।

चिकित्सा अधीक्षक डॉ. देवाशीष शुक्ला ने कहा हमारी बाल शल्य टीम द्वारा इस जटिल टिश्यू मास को सुरक्षित रूप से हटाया जाना अत्यंत सराहनीय उपलब्धि है। हम बाल स्वास्थ्य सेवा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए लगातार उत्कृष्ट परिणाम प्रदान कर रहे हैं।

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