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एसजीपीजीआई के निदेशक प्रोफेसर आरके धीमान Photograph: (YBN)
राजधानी लखनऊ में स्थित संजय गांधी परास्नातक आयुर्विज्ञान संस्थान (SGPGI) के अधिनियम में संशोधन और निदेशक प्रो. राधाकृष्ण धीमान (Professor RK Dhiman) को तीन साल का अतिरिक्त कार्यकाल दिए जाने के खिलाफ चिकित्सकों का एक बड़ा वर्ग लामबंद हो गया है। इसको लेकर एसजीपीजीआई फैकल्टी फोरम अगले सप्ताह जनरल बॉडी मीटिंग (GBM) बुलाएगा। इसकी तारीख सोमवार को तय की जाएगी। बैठक के बाद तय होगा कि मामले में विधिक राय लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाए या विरोध की रणनीति बनाई जाए।
एम्स नियमों से अलग संशोधन क्यों?
फैकल्टी फोरम के अध्यक्ष प्रो. अमिताभ आर्य ने बताया कि एसजीपीजीआई के निदेशक प्रो. आरके धीमन से कोई व्यक्तिगत विरोध नहीं है, लेकिन हर फैसला अधिनियम के मुताबित होना चाहिए। महासचिव प्रो. पुनीत गोयल ने कहा कि एसजीपीजीआई अधिनियम के मुताबिक यहां एम्स के नियमों का पालन होता है। एम्स में निदेशक की अधिकतम उम्र 65 साल है तो यहां 68 साल तक कार्यकाल का संशोधन कैसे लागू होगा।
आदेश की लाइन को बताया भ्रामक
आदेश में कहा गया है कि एसजीपीजीआई के निदेशक के कार्यकाल और आयु सीमा की व्यवस्था न होने के कारण संशोधन किया गया है। प्रो. अमिताभ आर्य ने आदेश की इस लाइन को भ्रामक करार देते हुए कहा कि पुराने आध्यादेश में पांच साल का कार्यकाल और 65 साल तक उम्र तय थी।
निदेशक को तीन साल का सेवा विस्तार
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में पांच फरवरी को हुई कैबिनेट बैठक में एसजीपीजीआई के अधिनियम 1983 में संशोधन को मंजूरी मिली थी। वहीं एसजीपीजीआई के निदेशक प्रोफेसर डॉ. राधाकृष्ण धीमान का कार्यकाल 65 साल की उम्र में सात फरवरी 2025 को पूरा हो रहा था। इस बीच आरके धीमान का कार्यकाल बढ़ाने का आदेश जारी हो गया है। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की ओर से प्रो धीमान का कार्यकाल बढ़ाने का आदेश सात फरवरी को जारी किया गया था। इस आदेश के जारी होने के बाद प्रो. आरके धीमान 68 साल की उम्र तक एसजीपीजीआई के निदेशक पद की जिम्मेदारी संभालेंगे। प्रो. आरके धीमान सात फरवरी 2028 तक एसजीपीजीआई के निदेशक बने रहेंगे।