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स्वतंत्रता सेनानी दरबारी लाल अस्थाना को पुण्यतिथि पर अर्पित की गई पुष्पांजलि Photograph: (YBN)
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स्वतंत्रता सेनानी दरबारी लाल अस्थाना को पुण्यतिथि पर अर्पित की गई पुष्पांजलि Photograph: (YBN)
स्वतंत्रता सेनानी डॉ. दरबारी लाल अस्थाना को गोमती नगर स्थित भारतीय भवन में पुण्यतिथि पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर उनकी स्मृति में तीन दिवसीय नाटय समारोह अयोध्या रोड स्थित अवध एकेडमी इंटर कॉलेज में पांच से सात मार्च तक आयोजित किये जाने की घोषणा हुई। इसके संयोजक मंडल में विजय लक्ष्मी गुप्ता, दबीर सिद्दीकी और नीशू त्यागी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि इस तीन दिवसीय नाट्य समारोह के उद्घाटन समारोह में बुधवार पांच मार्च को नव अंशिका फाउण्डेशन के रंगमंडल की ओर से तमाल बोस के लिखे नाटक “आज़ादी के वीर सपूत” का मंचन नीशू त्यागी के निर्देशन में किया जाएगा।
इस क्रम में छह मार्च को थिएटर एवं फिल्म वेलफेयर एसोसिएशन के रंगमंडल द्वारा नाटक 'बाप रे बाप' का मंचन दबीर सिद्दीकी के निर्देशन में होगा समापन समारोह में सात मार्च को नव अंशिका फाउण्डेशन के रंगमंडल द्वारा 'चर्चा चाची के चर्चे' का मंचन तमाल बोस के निर्देशन में किया जाएगा। इस प्रस्तुति की सहनिर्देशिका नीशू त्यागी हैं। इन नाटकों का विशेष मंचन विद्यार्थियों के लिए किया जा रहा है। इसलिए इसका समय दोपहर दो बजे निर्धारित किया गया है। संस्कृति मंत्रालय की प्रोडक्शन ग्रांट के अंतर्गत लखनऊ कम्युनिकेशन सोसाइटी की ओर से नाटय समारोह होगा। इस दौरान डॉ. दरबारी लाल अस्थाना के पुत्र और वरिष्ठ रंगकर्मी पुनीत अस्थाना सहित उपस्थित रहे।
वरिष्ठ स्वतंत्रता सेनानी की पुत्रवधु शुभ्रा अस्थाना ने बताया कि डॉ. दरबारी लाल अस्थाना का जन्म 24 जुलाई 1905 को आगरा में हुआ था। स्वतंत्रता के पच्चीसवें वर्ष के अवसर पर स्वतंत्रता संग्राम में स्मरणीय योगदान के लिए राष्ट्र की ओर से तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें 15 अगस्त 1972 को ताम्रपत्र से सम्मानित किया था। तीन मार्च 1985 को लगभग 80 वर्ष की आयु में उनका स्वर्गवास हुआ था।
शुभ्रा ने बताया कि अंग्रेजी हुकूमत के दौरान राजकीय कॉलेज आगरा में बहिष्कार आन्दोलन से वह राष्ट्र सेवा के क्षेत्र में सक्रिय हुए थे। वृन्दावन स्थित प्रेम महाविद्यालय में उन्होंने ग्रामोत्थान का कार्य किया और ब्रज के अनेक गांवों का दौरा कर आम लोगों में आज़ादी और राष्ट्रीयता की भावना जगायी थी। डॉ. दरबारी लाल अस्थाना को ग्रामीण अर्थशास्त्र और पुनर्निर्माण कार्य का विशेष अध्ययन करने के लिये गुरु रविन्द्र नाथ टैगोर के विश्वविख्यात शान्तिनिकेतन भी भेजा गया था जहां गुरुदेव ने उन्हें एक कलम भी आशीर्वाद स्वरूप भेंट किया था।
युसुफ मेहर अली द्वारा संचालित अखिल भारतीय युवक आन्दोलन में भी डॉ.दरबारी लाल अस्थाना सक्रिय रहे थे। सिंधियों के महान आध्यात्मिक गुरु श्रीयुत टीएल वासवानी के भारतीय सांस्कृतिक पुनरुत्थान आंदोलन में भी डॉ. दरबारी लाल अस्थाना ने अहम् भूमिका अदा की थी। उसकी शाखाओं की स्थापना के लिये डॉ.दरबारी लाल अस्थाना ने देशभर का दौरा भी किया था। महात्मा गांधी के सत्याग्रह आन्दोलन में डॉ. दरबारी लाल अस्थाना काफी सक्रिय रहे थे। साल 1930 में वृंदावन स्थित प्रेम महाविद्यालय के छात्रों के साथ जब डॉ. दरबारी लाल अस्थाना सत्याग्रह आन्दोलन कर रहे थे तब उन्हें 9 सी-12 धारा के तहत गिरफ्तार कर लिया गया था।
चार अगस्त 1930 को उन्हें छह महीने का कठोर कारावास का दंड सुनाया गया। 11 अक्टूबर 1930 में उन्हें मथुरा जेल से सीतापुर जेल में ट्रांसफर किया गया था। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद डॉ. दरबारी लाल अस्थाना ने देहरादून में रहकर मेडिकल प्रैक्टिस शुरू की। बाद में वह लखनऊ आ गए और साल 1954 से उन्होंने उत्तर प्रदेश गांधी स्मारक निधि लखनऊ केन्द्र के संचालक के रूप में लम्बे समय तक कार्य किया। उन्होंने गांधी तत्व प्रचार के लिए उत्तर प्रदेश में अनेकों गांधी अध्ययन केन्द्रों और युवा शिविरों का आयोजन किया था।