लखनऊ वाईबीएन संवाददाता। प्रदेशवासियों को जल्द महंगी बिजली का झटका लगेगा। पावर कारपोरेशन ने सोमवार को संशोधित एआरआर (वार्षिक राजस्व आवश्यकता) प्रस्ताव में नियामक आयोग में दाखिल कर दिया। इसमें बिजली की मौजूदा दरें ही लागू रहने की स्थिति में वित्तीय वर्ष 2025-26 में 19600 करोड़ का घाटा दिखाया गया है। ऐसे में घाटे की भरपाई के लिए बिजली दरों में 30 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की सिफारिश की गई है। दूसरी तरफ बिजली दरें बढ़ाने का विरोध भी शुरू हो गया है। संभावित बढ़ोत्तरी की जानकारी होते ही राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने तुरंत आयोग में आपत्ति दर्ज कराई।
एआरआर में पिछली बार 9200 करोड़ का घाटा
पिछली बार एआरआर में 9200 करोड़ का घाटा बताया था। सोमवार को वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए पावर कारपोरेशन एवं डिस्कॉम ने वास्तविक आय-व्यय के आधार पर संशोधित लेखा-जोखा प्रस्तुत किया। बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में विद्युत कंपनियों द्वारा विद्युत बिलों के सापेक्ष वसूली मात्र 88 प्रतिशत ही हो पाई है, जिसके कारण राज्य सरकार द्वारा दी गई सब्सिडी के उपरान्त भी यह गैप वर्ष 2023-24 के 4,378 करोड़ के सापेक्ष बढ़कर 13,542 करोड़ हो गया है।
प्रतिवर्ष कैश-गैप 12.4 प्रतिशत की दर से बढ़ा
इसी प्रकार इस वित्तीय वर्ष 2025-26 में घाटा बढ़कर 19,600 करोड़ होने की सम्भावना है। यह भी बताया है कि पिछले चार वर्षों में कारपोरेशन एवं डिस्कॉम का खर्चा 8.3 प्रतिशत तथा राजस्व 6.7 प्रतिशत की दर से बढ़ा है, जिसके कारण प्रतिवर्ष कैश-गैप 12.4 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। वर्ष 2020-21 में राजस्व गैप 30,447 करोड़ था, वह बढ़ कर वर्ष 2024-25 में 48,515 करोड़ हो गया। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए यह कैशगैप लगभग 54,530 करोड़ रहने का अनुमान है। इस प्रकार पिछले एक वर्ष में कैश गैप में 23.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है तथा बैंक लोन में 28 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
फर्जी घाटा दिखाकर एआरआर दाखिल
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बिजली नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार से मुलाकात का प्रस्ताव दाखिल किया। उन्होंने आयोग को अवगत कराया कि फर्जी विद्युत राजस्व घाटा दिखाकर एआरआर विद्युत नियामक आयोग में देर शाम संशोधित एआरआर दाखिल किया गया। घाटे में फर्जी तरीके से बढ़ोतरी कराई गई है। उदाहरण के तौर पर दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का विद्युत राजस्व घाटा 2437 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 3750 करोड़ रुपये कर दिया गया है। लगभग 1313 करोड़ रुपये एक बढ़ोत्तरी की गई। इसी तरह कुल राजस्व गैप 9200 करोड़ से कहीं ज्यादा सामने आएगा।
बिजली बिल वसूली को आधार बनाना गलत
अवधेश वर्मा के अनुसार, बिजली बिल वसूली आधार पर घटना निर्धारित करना असंवैधानिक और मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन 2025 के खिलाफ है। कोई भी राजस्व जो असेसमेंट के सापेक्ष निर्धारित किया जाता है, उसकी वसूली और बकाया दोनों को मिलाकर पूरा राजस्व निर्धारण माना जाता है। टैरिफ का निर्धारण सत प्रतिशत राजस्व निर्धारण के आधार पर किया जाता है।
उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने का आरोप
परिषद अध्यक्ष ने ने कहा कि बिजली दरों को जानबूझकर बढ़ाया जा रहा है। ताकि उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाया जा सके। वर्मा ने कहा कि आयोग अब तक 98 प्रतिशत बिल वसूली मानकर बिजली कंपनियों को दो प्रतिशत नुकसान की छूट देता रहा है। फिर भी पावर कॉरपोरेशन उपभोक्ताओं के खिलाफ काम कर रहा है।
नियामक आयोग से सख्त कार्रवाई की मांग
वर्मा ने कहा कि प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों के पास करीब 33122 करोड़ रुपये का सरप्लस (अतिरिक्त) जमा है। यदि इसमें कैरिंग कॉस्ट (ब्याज आदि) जोड़ी जाए तो यह राशि और भी अधिक हो जाएगी। उन्होंने आरोप लगाया कि बिजली दरें बढ़ाने की पूरी योजना एक साजिश है। उन्होंने मांग की कि नियामक आयोग को इस पर सख्त कदम उठाना चाहिए। साथ ही यह भी पूछना चाहिए कि पावर कॉरपोरेशन ने बिना आयोग की अनुमति के सालाना खर्च (ARR) का विज्ञापन क्यों नहीं निकाला।