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यूपी में अधिक फिक्स चार्ज से बढ़ रहे बिजली के दाम, नियामक आयोग ने 6000 मेगावाट के प्रस्ताव पर UPPCL के कसे पेंच

अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि बिजली कंपनियों ने पहले वर्ष 2028 तक 4000 मेगावाट जल विद्युत खरीदने का प्रस्ताव नियामक आयोग को भेजा था। लेकिन अब पावर कॉरपोरेशन ने इस प्रस्ताव में बदलाव करते हुए बिजली खरीद 6000 मेगावाट करके इसकी अवधि 2032 तक बढ़ा दी है।

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Deepak Yadav
up electricity fixed charges

यूपी में अधिक फिक्स चार्ज से बढ़ रहे बिजली के दाम Photograph: (YBN)

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लखनऊ वाईबीएन संवाददाता। यूपी में बिजली खरीद पर भारी फिक्स चार्ज से हो रहे घाटे के चलते विद्युत दरें बढ़ रही हैं। 2025–26 के लिए के लिए खरीदी जाने वाली बिजली में 45 हजार 614 करोड़ रुपये फिक्स कास्ट और 43 हजार 141 करोड़ ईंधन चार्ज प्रस्तावित है। जो बिजली खरीदी जाए या नहीं, देना ही होगा। वहीं पावर कारपोरेशन ने निजीकरण से पहले 4000 मेगावाट जल विद्युत खरीद का प्रस्ताव बढ़ाकर 6000 मेगावाट का दिया है। अब दक्षिणांचल और पूर्वांचल डिस्कॉम का निजीकरण होने लगा तो बिजली खरीद का क्वांटम कैसे बढ़ गया।

लंबे समझौते बढ़ा रहे बिजली की लागत

उपभोक्ता परिषद के अनुसार, प्रदेश में बिजली दरों में बढ़ोतरी की बड़ी वजह महंगी दरों पर की गई खरीद है। कई संयंत्रों से लंबे समय के समझौते हुए हैं, जिनसे मिलने वाली बिजली काफी महंगी है। नियामक आयोग ने सभी बिजली कंपनियों की वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) सुनवाई के लिए स्वीकार कर ली है। बिजली कंपनियां 133779 मिलियन यूनिट बिजली बेचेंगी। जिसकी लागत करीब 88,755 करोड़ रुपये अनुमानित की गई है। इसमें पीजीसीआईएल चार्ज भी जुड़ा है। 

बिजली खरीद का 51 प्रतिशत फिक्स चार्ज

फिक्स और एनर्जी चार्ज में 45614 करोड़ फिक्स चार्ज निकला। जो कुल बिजली खरीद का 51 प्रतिशत है। वहीं ईंधन चार्ज  लगभग 43141 करोड़, जोकि कुल बिजली खरीद का 49 प्रतिशत है। यानी प्रदेश में फिक्स चार्ज की अदायगी ईंधन चार्ज से ज्यादा करना पड़ती है। बिजली खरीद हो या न हो, सरकार को उत्पादन इकाइयों फिक्स चार्ज देना ही पड़ता है। साल 2025-26 में बिना बिजली दर बढ़ाए सरकार को लगभग 85,041 करोड़ रुपये राजस्व मिलने का अनुमान है। प्रदेश में चल रही 113 उत्पादन इकाइयों में भविष्य में लगने वाली अदाणी पावर का फिक्स चार्ज सबसे महंगा है। सरकार को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए। इसी तरह अन्य उत्पादन इकाइयां जहां पर महंगी बिजली खरीद हो रही है और फिक्स चार्ज ज्यादा है इसकी समीक्षा भी जरूरी है। 

नियामक आयोग ने पावर कारपोरेशन से पूछे सवाल

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि जल्द ही प्रदेश में बिजली खरीद का बड़ा मामला सामने आने वाला है। उन्होंने कहा कि सभी बिजली कंपनियों ने पहले वर्ष 2028 तक 4000 मेगावाट जल विद्युत खरीदने का प्रस्ताव नियामक आयोग को भेजा था। लेकिन अब पावर कॉरपोरेशन ने इस प्रस्ताव में बदलाव करते हुए बिजली खरीद 6000 मेगावाट कर इसकी अवधि 2032 तक  बढ़ाने की नियामक आयोग से अनुमति मांगी। उन्होंने कहा कि सभी बिजली कंपनियों का निजीकरण नहीं हुआ था, तब 4000 मेगावाट की जरूरत बताई गई थी। अब जब दक्षिणांचल और पूर्वांचल डिस्कॉम का निजीकरण हो रहा है तो जरूरत घटने की बजाय बढ़ कैसे गई? नियामक आयोग ने इस पर आपत्ति जताते हुए पावर कारपोरेशन से पूछा है कि क्वांटम बढ़ाने का कारण क्या है? क्या इसके लिए केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण से अनुमति ली गई है? और इसका लागत मूल्य निर्धारण (कॉस्ट वेरिफिकेशन) क्या है? आयोग मामले की सुनवाई 22 मई को  करेगा।

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