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Electricity Privatisation : निजीकरण की आड़ में 16 हजार आरक्षित पदों की बलि, UPPCL की चुप्पी पर भड़का ऑफिसर एसोसिएशन

संगठन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि पहले पदोन्नति में आरक्षण का हक छीनने के बाद निजीकरण करके नौकरियों में आरक्षण पर भी कुठाराघात किया जा रहा है।

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Deepak Yadav
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पॉवर ऑफिसर एसोसिएशन

पॉवर ऑफिसर एसोसिएशन Photograph: (YBN)

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लखनऊ वाईबीएन संवाददाता। पॉवर ऑफिसर एसोसिएशन ने कहा कि बिजली के निजीकरण (Electricity Privatisation) के जरिए आरक्षित पदों की बलि दी जा रही है। इस हर स्तर पर विरोध किया जाएगा। एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने चिंता जताई कि निजीकरण की प्रक्रिया के चलते पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत निगमों में आरक्षित वर्ग के लगभग 16 हजार पद समाप्त हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर अभी तक पावर कारपोरेशन प्रबंधन और सरकार ने कोई पुख्ता जवाब नहीं दिया। इससे आशंका है कि इन पदों को खत्म करने की तैयारी है।

आरक्षण पर किया जा रहा कुठाराघात 

संगठन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि पहले पदोन्नति में आरक्षण का हक छीनने के बाद निजीकरण करके नौकरियों में आरक्षण पर भी कुठाराघात किया जा रहा है। कारपोरेशन प्रबंधन निजीकरण के बाद नौकरी खत्म नहीं होने की दुहाई दे रहा है, लेकिन चार माह बाद भी आरक्षित पदों के संबंध में कोई जवाब नहीं दिया गया है। इससे स्पष्ट है कि प्रबंधन इन पदों को लेकर जरा भी गंभीर नहीं है। 

निजीकरण कर्मचारियों-उपभोक्ताओं के हित में नहीं

अवधेश वर्मा ने कारपोरेशन प्रबंधन के इस रवैये पर आपत्ति जताते हुए कहा कि एसोसिएशन की आशंका गलत है तो पावर कारपोरेशन स्पष्ट और लिखित जवाब दे। उन्होंने कहा कि निजीकरण बिजली कर्मचारियों और उपभोक्ताओं के हित में नहीं है। इस पर रोक लगनी चाहिए। इस दौरान शक्ति भवन मुख्यालय पर निजीकरण के विरोध में विभिन्न संगठनों के चल रहे क्रमिक अनशन को समर्थन देने और उसमें सहभागिता की अपील की गई। वक्ताओं ने अनशन के दौरान शौचालयों में ताले लगाने और बिजली आपूर्ति बाधित करने की निंदा की।

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