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Electricity Privatisation : सलाहकार कंपनी को बड़ा झटका, नियामक आयोग ने बातचीत से किया इनकार

Electricity Privatisation : उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने गुरुवार को विद्युत नियामक आयोग के सदस्य संजय कुमार सिंह को लोक महत्व का प्रस्ताव सौंपा।

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Deepak Yadav
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सलाहकार कंपनी को बड़ा झटका

सलाहकार कंपनी को बड़ा झटका Photograph: (YBN)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। झूठे शपथ के सहारे सलाहकार का टेंडर हासिल करने वाली ब्रिटिश कंपनी ग्रांट थार्नटन को बड़ा झटका लगा है। उपभोक्ता परिषद की घेराबंदी के आगे पावर कारपोरेशन की पेशबंदी धरी रह गई। बिजली के निजीकरण (Electricity Privatisation) का प्रस्ताव तैयार कर रही इस कंपनी की विद्युत नियामक आयोग के साथ दो मई को प्रस्तावित बैठक निरस्त हो गई है। वहीं, उपभोक्ता परिषद ने कहा कि पावर कारपोरेशन प्रबंधन दागी कपंनी की आयोग के साथ मीटिंग कराकर उसे बचाने की कोशिश का रहा था। कंपनी पर संवैधानिक आवरण चढ़ाने के मामले में कारपोरेशन प्रबंधन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।  

नियामक आयोग में  प्रस्ताव दाखिल

इस मामले में उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने गुरुवार को विद्युत नियामक आयोग के सदस्य संजय कुमार सिंह को लोक महत्व का प्रस्ताव सौंपा। उन्हें अवगत कराया कि बिना नियामक आयोग की अनुमति के​ दक्षिणांचल और पूर्वांचल डिस्कॉम का निजीकरण हो रहा है। जबकि दोनों कंपनियों का वार्षिक राजस्व आवश्यकता वर्ष 2025-26 दाखिल हो चुका है। ऐसे में ग्रांट थार्नटन की आयोग के साथ बैठक रेगुलेटरी फ्रेमवर्क का उल्लंघन है।

आयोग लेगा अंतिम फैसला

अवधेश वर्मा ने कहा कि नियामक आयोग एक संवैधानिक और स्वतंत्र संस्था है। जो विद्युत वितरण से संबंधित सभी निर्णय लेने के लिए अधिकृत है। आयोग ने दक्षिणांचल और पूर्वांचल विद्युत निगमों को बिजली वितरण का लाइसेंस दिया है। एक सलाहकार कंपनी इन दोनों बिजली कंपनियों के निजीकरण से संबंधित जानकारी आयोग को दे रही है। जबकि नियामक आयोग को इस पर अंतिम फैसला लेना है। 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का दिया हवाला

वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले शिवकुमार वर्सेस नगर निगम का हवाला देते हुए कहा कि यह पूरा मामला एक्स पार्टी कम्युनिकेशन के अंतर्गत आता है। जो रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के तहत स्वतंत्र संस्था के लिए न्यायिक दृष्टि से उचित नहीं माना जाता। उन्होंने कहा कि पावर कारपोरेशन को इस सलाहकार कंपनी को काली सूची में डालते हुए उसकी बैंक गारंटी जब्त कर एफआईआर दर्ज करानी चाहिए थी। लेकिन पावर कारपोरेशन ग्रांट थार्नटन की पैरवी कर रहा है। जो नियमों के विपरीत है। ऐसे में आयोग को ग्रांट थार्नटन और पावर कारपोरेशन के खिलाफ सख्त कदम उठाना चाहिए।

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