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Electricity Privatisation Communist Party protest
लखनऊ में बिजली के निजीकरण के खिलाफ गुरुवार को सीपीएम (कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी) के कार्यकर्ताओं ने गोखले मार्ग स्थित मध्यांचल विद्युत निगम मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने बिजली के निजीकरण को जनविरोधी बताते हुए सरकार से इस फैसले को वापस लेने की मांग की। इस दौरान निगम के एमडी को ज्ञापन सौंपा गया। जिसमें बिजली संशोधन बिल 2022 को रद्द करने की मांग उठाई गई।
निजीकरण से उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा
प्रदर्शन में शामिल कार्यकर्ताओं ने "बिजली का निजीकरण नहीं चलेगा" और "जनता पर बोझ डालना बंद करो" जैसे नारे लगाए। प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहीं नेता मधु गर्ग ने कहा कि बाबा साहब ने कहा था बिजली एक बुनियादी जरूरत है और इसे लाभ कमाने के बजाय जनसेवा के रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि निजीकरण से उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा और कर्मचारियों की नौकरियां भी खतरे में पड़ जाएंगी।
कर्मचारियों को भी करेगा प्रभावित
मजदूर नेता प्रेमनाथ राय ने कहा कि बिजली का निजीकरण केवल उपभोक्ताओं को ही नहीं, बल्कि कर्मचारियों को भी प्रभावित करेगा। इसलिए आम जनता और कर्मचारियों को मिलकर इस फैसले के खिलाफ आवाज उठानी होगी। प्रदर्शन के दौरान निगम के एमडी को सौंपे गए ज्ञापन में बिजली निजीकरण से जुड़े सभी प्रस्तावों को रद्द करने की मांग की गई। विरोध प्रदर्शन में सामाजिक संगठनों के कई सदस्यों सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता शामिल हुए।