लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता
पूर्वांचल और दक्षिणांचल बिजली निगमों के निजीकरण (PuVVNL-DVVNL Privatisation) के लिए नियुक्त सलाहकार कंपनी ग्रांट थार्नटन के झूठे शपथ पत्र का पर्दाफाश होने के बावजूद उसके खिलाफ कार्रवाई में हीलाहवाली की जा रही है। अमेरिका में कंपनी पर जुर्माना लगाए जाने की पुष्टि के बाद पावर कारपोरेशन (Power Corporation) महज जवाब तलब करने तक ही सीमित है। इससे साफ है कि मामले को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। वहीं इस मिलीभगत में शामिल कई अधिकारी कंपनी को बचाने में लगे हुए हैं।
कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने की मांग
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने यह आरोप लगाते हुए UPPCL के निदेशक (वित्त) और टेंडर मूल्यांकन कमेटी के अध्यक्ष निधि कुमार नारंग से तत्काल सलाहकार कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने की मांग उठाई है। वहीं निदेशक ने कंपनी की ओर से जवाब आने पर कार्रवाई का भरोसा दिलाया है। अवधेश वर्मा ने कहा कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित एनर्जी टास्क फोर्स ने इस साल चार फरवरी को फैसला किया था कि किसी भी कंसल्टेंट कंपनी पर पिछले तीन साल में कोई जुर्माना नहीं होना चाहिए।
एनर्जी टास्क फोर्स के फैसले का उल्लंघन
परिषद अध्यक्ष ने कहा कि ग्रांट थार्नटन पर अमेरिका के रेगुलेटर पब्लिक कंपनी अकाउंटिंग ओवर साइट बोर्ड (पीसीएओबी) ने 20 फरवरी 2024 को 40 हजार डॉलर का जुर्माना लगाया था। परिषद की शिकायत पर पावर कारपोरेशन ने कंपनी से स्प्ष्टीकरण मांगा। कंपनी ने अपने जवाब में आरोपों से इनकार नहीं किया। जोकि टास्क फोर्स में लिए गए फैसल का उल्लंघन है। ऐसे में पावर कारपोरेशन के पास कंसल्टेंट कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने में अलावा कोई और विकल्प नहीं है।
बड़े अफसर कंपनी को बचाने में जुटे
अवधेश कुमार वर्मा ने आरोप लगाया कि कई बड़े अफसर ग्रांट थार्नटन को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि इस भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने वाले अफसर खुद भी जांच के दायरे में आएंगे और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी वर्मा ने कहा कि कुछ अधिकारी निजीकरण की प्रकिया को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने साफ कहा कि इस मिलीभगत में जो भी शामिल होगा, वह किसी भी सूरत में बच नहीं पाएगा।