लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता
प्रदेश में बिजली के निजीकरण के लिए नियुक्त सलाहकार कंपनी ग्रांट थार्नटन ने अमेरिका में बीते साल उस पर लगाए गए जुर्माने को स्वीकार कर लिया है। कंपनी ने नोटिस का जवाब पावर कारपोरेशन को देकर जुर्माने के आदेश के अस्वीकार नहीं किया। ऐसे में उपभोक्ता परिषद ने कंपनी के काम पर रोक लगाकर उसे ब्लैक लिस्ट कर वैधानिक कार्रवाई की मांग की है। साथ ही इस मिलीभगत में शामिल दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
पोल खुलने पर यूपीपीसीएल ने मांगा जवाब
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद (UPRVUP) के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि सलाहकार कंपनी ने टेंडर के लिए जमा किए हलफनामें में बीते तीन साल में कोई कार्रवाई नहीं होने की बात कही थी। जबकि अमेरिका की पब्लिक कंपनी अकाउंटिंग ओवर साइट बोर्ड (पीसीएओबी) ने 2024 में ग्रांट थार्नटन को डिबार कर 40 हाजर डॉलर का जुर्माना लगाया था। परिषद की ओर से यह मामला उजागर किए जाने के बाद पावर कारपोरेशन ने 24 घंटे के भीतर कंपनी से जवाब मांगा। कंपनी ने अपने जवाब में जुर्माने की पुष्टि करते हुए आदेश को स्वीकार कर लिया। इससे इससे यह साबिज हो गया कि कंपनी का हलफनामा झूठा था।
कंपनी पर विधिक कार्रवाई जरूरी
अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि अब पावर कारपोरेशन के पास कंसल्टेंट कंपनी को ब्लैक लिस्ट और उसके खिलाफ विधिक कार्रवाई करने के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं बचा है। यदि कोई इस कंपनी को बचाने की कोशिश करता है, तो वह स्वयं भ्रष्टाचार का भागी बनेगा। उन्होंने कहा कि पावर कारपोरेशन ने पहले से ही यह नियम बना रखा है कि कोई फर्म टेंडर प्रक्रिया में झूठे अभिलेख देती है, तो उसे तत्काल दो से पांच साल के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा। ऐसे में नियमों का पालन करते हुए कड़ी कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की जाए। ताकि भविष्य में कोई भी निजी कंपनी नियमों की अनदेखी करने का साहस न कर सके।