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Electricity Privatisation : जल बिन मछली की तरह तड़प रही सलाहकार कंपनी, पावर कारपोरेशन पैरोकारी में जुटा

Electricity Privatisation : टेंडर की शर्तों का उल्लंघन कर झूठा शपथ पत्र देने के मामले में फंसी सलाहकार कंपनी, ग्रांट थार्नटन, इन दिनों बिन पानी की मछली जैसी स्थिति में है और यूपीईआरसी के साथ बैठक करने के लिए बेताब है।

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Deepak Yadav
सलाहकार कंपनी को बड़ा झटका

जल बिन मछली की तरह तड़प रही सलाहकार कंपनी Photograph: (YBN)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता।टेंडर की शर्तों का उल्लंघन कर झूठा शपथ पत्र देने के मामले में फंसी सलाहकार कंपनी की हालत इन दिनों बिन पानी के मछली जैसी हो गई है। तकनीकी सलाहकार (टीए) के रूप में काम कर रही ग्रांट थार्नटन यूपी विद्युत नियामक आयोग (यूपीईआरसी) के साथ बैठक करने के लिए तड़प रही है। हद तो तब हो गई जब दो मई को होने वाली बैठक निरस्त होने के बाद भी दागी कंपनी की टीम नियामक आयोग पहुंच गई। आयोग के सख्त रुख के चलते कंपनी के प्रतिनिधियों को चुपचाप लौटना पड़ा। वहीं दूसरी ओर उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवेधश कुमार वर्मा (Avadhesh Kumar Verma) ने टेंडर मूल्यांकन कमेटी के निदेशक वित्त निधि कुमार नारंग से मिलकर बताया कि 20 दिन बाद भी कंपनी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई है। इस पर निदेशक पर मामला उच्च स्तर तक पहुंचाने का भरोसा दिलाया।

यूपीपीसीएल की सलाहकार से अभी भी जुगलबंदी

अवधेश वर्मा ने निदेशक से कहा कि प्रदेश में बिजली के निजीकरण (Electricity Privatisation) का मसौदा तैयार कर रही सलाहकार कंपनी ने स्वीकार किया कि उस पर अमेरिका में 40 हजार डॉलर का जुमाना लगा था। उसने सलाहकार का टेंडर पाने के लिए अपने शपथ पत्र में जुर्माने का जिक्र नहीं किया। कंपनी का झूठ पकड़े जाने के बाद भी अभी तक उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा कि पावर कॉरपोरेशन को डर है कि ऊर्जा क्षेत्र की सबसे बड़ी सर्वोच्च संवैधानिक संस्था ने जब कंपनी के साथ बैठक करने से मना कर दिया, तो अब उसके आदेश की वैधानिकता खतरे में पड़ गई है। ऐसे में अब कंपनी से कोई भी रिपोर्ट कैसे ली जाएगी।

कार्रवाई के लिए उच्च स्तर पर भेजी जाएगी फाइल

परिषद अध्यक्ष ने पांच मई को नए निदेशक के आने पर कार्यभार छोड़ने की बात कही। ऐसे में निदेशक वित्त निधि कुमार नारंग से कुर्सी पर रहते हुए कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करने की अपील की। वहीं, निदेशक ने बताया कि पत्रावली पर विस्तृत रिपोर्ट फिर से मांगी गई है। जिसे उच्च स्तर पर कार्रवाई के लिए भेजा जाएगा। अगर जरूरत पड़ी तो इस मामले को एनर्जी टास्क फोर्स के पास भी भेजने पर विचार किया जाएगा।

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