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Elecrticity Privatisation : निजीकरण में चल रहा भ्रष्टाचार, ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने सीएम से की कार्रवाई की मांग

अंतरराष्ट्रीय संस्था ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने पत्र में मुख्यमंत्री से कहा है कि भ्रष्टाचार के विरूद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति को लेकर पूरे देश को आपसे उम्मीद है। इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चित करें।

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Deepak Yadav
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ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने सीएम से की निजीकरण में भ्रष्टाचार रोकने की मांग Photograph: (social media)

लखनऊ वाईबीएन संवाददाता। झूठा शपथ नियुक्त हुई बिजली निजीकरण का मसौदा तैयार करने वाली सलाहकार कंपनी ग्रांट थार्नटन की मुश्किले बढ़ गई हैंं। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के कार्यकारी निदेशक रमानाथ झा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मेल के जरिए पत्र भजकर बिजली के निजीकरण मामले में प्रभावी हस्तक्षेप की मांग की है। संस्था ने निजीकरण प्रक्रिया में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। 

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भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की उम्मीद

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने मुख्यमंत्री को यह पत्र तब लिखा है, जब मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एनर्जी टास्क फोर्स की एक महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है। अंतरराष्ट्रीय संस्था ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने पत्र में मुख्यमंत्री से कहा है कि भ्रष्टाचार के विरूद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति को लेकर पूरे देश को आपसे उम्मीद है। इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करें। संस्था ने कहा कि अगर झूठा शपथ पत्र दिया गया हो तो सलाहकार ग्रांट थार्नटन की अवैधानिक रिपोर्ट के आधार पर एनर्जी टास्क फोर्स की 16 मई की मीटिंग में 42 जिलों के निजीकरण के बिडिंग डॉक्यूमेंट को अंतिम रूप किसी भी स्थिति में न दिया जाय।

एनर्जी टास्क फोर्स की बैठक असंवैधानिक

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इस मामले में राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि ग्रांट थॉर्नटन के ऊपर अमेरिका में 40 हजार डॉलर का जुर्माना लगाया गया। उसे छिपाकर कंपनी ने टेंडर हासिल किया। विद्युत नियामक आयोग ने सलाहकार कंपनी के साथ बैठक करने से इनकार कर दिया। उसकी रिपोर्ट के आधार पर 16 मई को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बुलाई गई बैठक पूरी तरह असंवैधानिक है। पावर कॉरपोरेशन ने कंपनी पर कार्रवाई के उसे शुरू से बचाता रहा है। अब कारपोरेशन ने गुपचुप तरीके से एक नई स्टैंडर्ड बिडिंग गाइडलाइन अप्रैल 2025 में ड्राफ्ट के रूप में बनवाई है। जो अभी भी मिनिस्ट्री आफ पावर की वेबसाइट पर नहीं है। उसके आधार पर कार्यवाही को आगे बढ़ा रहा है दोनों आपस में विरोधाभासी है।

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