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Electricity Privatisation : ग्रांट थार्नटन हितों के टकराव में फंसी, उपभोक्ता परिषद ने सबूत होने का किया दावा

Electricity Privatisation : विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि ग्रांट थार्नटन और उसकी टीम के सदस्यों का उद्योगपतियों में से कुछ के साथ सलाहकार और व्यावसायिक संबंध है। उपभोक्ता परिषद के पास इससे जुड़े सबूत हैं।

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Deepak Yadav
Electricity Privatisation grant  Grant Thornton

ग्रांट थार्नटन की मुश्किलें बढ़ीं Photograph: (YBN)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता

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प्रदेश में बिजली के निजीकरण (Electricity Privatisation) का मसौदा तैयार कर रही सलाहकार कंपनी ग्रांट थार्नटन (Grant Thornton) की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। झूठ शपथ पत्र देने के मामले में घिरी इस कंपनी का एक नया कारनामा सामने आया है। उपभोक्ता परिषद का आरोप है कि सलाहकार कंपनी देश के बड़े निजी घरानों के साथ काम कर रही है। ऐसे में यह कंपनी हितों के टकराव (कनफ्लिक्ट आप इंटरेस्ट) के दायरे में आती है। इसकी उच्च स्तरीय जांच कराई जाए तो कंसल्टेंट कंपनी दोषी पाई जाएगी।

ग्रांट थार्नटन के निजी घरानों से संबंध

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद (UPRVUP) के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा (Avadhesh Kumar Verma) ने कहा कि एनर्जी टास्क फोर्स ने फैसला किया है कि बिजली कंपनियों के निजीकरण की प्रक्रिया में हितों के टकराव को गंभीरता से देखा जाएगा। टास्क फोर्स ने यह शर्त रखी है कि ट्रांजेक्शन एडवाइजर (टीए) के रुप में वही कंपनी काम कर सकेगी, जिसका संबंध निजी घराने से नहीं होगा। वर्मा ने दावा किया ग्रांट थार्नटन का कई बड़े निजी घरानो के साथ संबंध हैं। 

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अफसरों को कंपनी को बचाने का आरोप

अवधेश वर्मा ने कहा कि इस कंपनी पर 20 फरवरी 2024 को अमेरिका में 40 हजार डॉलर का जुर्माना लग चुका है। उसने अपने शपथ पत्र मेंं इसका जिक्र नहीं किया। परिषद की शिकायत पर पावर कारपोरेश (Power Corporation) ने कंपनी से दो बार जवाब ​तलब किया। कंपनी ने दोबारा भेजे गए जवाब में भी जुर्माना लगने की बात स्वीकार की। अब पावर कारपोरेशन की टेंडर विंग ने कंपनी पर सख्त कार्रवाई के लिए पत्रावली को आगे बढ़ाया है। उनका आरोप है कि UPPCL के दो उच्च अधिकारी कंपनी को बचाने में जुटे हैं। इनका भी जल्द पर्दाफाश किया जाएगा।

हितों के टकराव पर नहीं दिया शपथ पत्र

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परिषद अध्यक्ष ने कहा कि हाल ही में निजीकरण को लेकर लखनऊ के एक पांच सितारा होटल में अडानी, टाटा, एनपीसीएल और टोरेंट पावर सहित बड़े निजी घरानों के साथ प्री-बिड मीटिंग हुई। इसमें मुख्य सचिव भी मौजूद थे। इससे स्पष्ट हो गया कि यूपी की बिजली कंपनियों को खरीदने में कौन से उद्योगपति इच्छुक हैं। उन्होंने कहा कि इन उद्योगपतियों में से कुछ के साथ ग्रांट थार्नटन और उसकी टीम के सदस्यों से सलाहकार और व्यावसायिक संबंध है। उपभोक्ता परिषद के पास इससे जुड़े सबूत हैं। यह हितों के टकराव का गंभीर मामला है। इस संबंध में कंपनी ने अभी तक शपथ पत्र नहीं दिया है।

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