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उपभोक्ता परिषद पहुंचा नियामक आयोग Photograph: (YBN)
लखनऊ वाईबीएन संवाददाता। प्रदेश में बिजली दरें तय करने के लिए सुनवाई शुरू होने से पहले उपभोक्ता परिषद ने मंगलवार को नियामक आयोग में लोक महत्व प्रस्ताव दाखिल किया। इसमें बिजली के निजीकरण पर रोक लगाने की मांग की। परिषद का कहना है कि बिजली कंपनियों की वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) सुनवाई के लिए स्वीकार कर ली गई हैं। कानून सुनवाई पूरी होने तक निजीकरण नहीं किया जा सकता है। इसके बावजूद पावर कॉरपोरेशन निजीकरण के लिए कैबिनेट से मंजूरी का प्लान बना रहा है।
कंपनियां बिक गईं तो सरप्लस का क्या होगा
आयोग को अवगत कराया कि उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 33122 करोड़ रुपये का सरप्लस है। इसमें दक्षिणांचल और पूर्वांचल डिस्कॉम के उपभोक्ताओं का लगभग 16 हजार करोड़ रुपये निकलेगा। इन दोनों कंपनियों को निजी हाथों में देने से सरप्लस का क्या होगा। इन कंपनियों के शेयर से छेड़छाड़ और उसमें बदलाव नियमों के विपरीत और विद्युत अधिनियम का उल्लंघन है।
रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के तहत हस्तक्षेप की मांग
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार और सदस्य संजय कुमार सिंह से मुलाकात कर बताया कि पावर कारपोरेशन ने बिना नियामक आयोग की अनुमति के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू की। अब 120 दिन के अंदर दक्षिणांचल और पूर्वांचल के निजीकरण के लिए कैबिनेट से मंजूरी लेने की तैयारी कर रहा है। उन्होंने निजीकरण को असंवैधानिक बताते हुए आयोग से रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के तहत तत्काल हस्तक्षेप की मांग की।