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Electricity Privatisation : मुख्य सचिव पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का आरोप, RFP शर्तों को दरकिनार कर ग्रांट थार्नटन को टेंडर

Electricity Privatisation : उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि आरएफपी के बिंदु पांच में स्पष्ट है कि अगर कोई दस्तावेज या टेक्निकल बिड झूठी पाई गई तो कंपनी की बैंक गारंटी जब्त कर उसे अयोग्य घोषित किया जाएगा।

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Deepak Yadav
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, आरपीएफ शर्तों को दरकिनार कर ग्रांट थार्नटन को टेंडर Photograph: (YBN)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। झूठा शपथ पत्र देने के मामले में फंसी सलाहकार कंपनी ग्रांट थार्नटन अब प्रस्ताव के लिए अनुरोध (आरएफपी) की शर्तों के उल्लंघन में भी घर गई है। राज्य विद्युत उपभोक्त परिषद ने इस मामले में नियामक आयोग को सभी जरूरी दस्तावेज सौंप दिए हैं। वहीं कपंनी की रिपोर्ट पर बिजली निजीकरण की प्रकिया आगे बढ़ाने पर परिषद ने कड़ी आपत्ति जताई है। परिषद का आरोप है कि मुख्य सचिव इस जालसाज कंपनी पर कार्रवाई के बजाए भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं। 

अयोग्य घोषित करने की शर्त नजरअंदाज

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि टेंडर मूल्यांकन समिति को यह नहीं पता कि जिस आरएफपी के तहत ग्रांट थार्नटन को टेंडर दिया गया, उसके बिंदु पांच में स्पष्ट है कि अगर कोई दस्तावेज या टेक्निकल बिड झूठी पाई गई तो कंपनी की बैंक गारंटी जब्त कर उसे अयोग्य घोषित किया जाएगा। इसके उलटा कंपनी के साथ लगातार बैठक की जा रही हैं। इतना ही नहीं प्रदेश के मुख्य सचिव बिजली निजीकरण (electricity Privatization) की प्रक्रिया को इसी कंपनी की रिपोर्ट पर बढ़ाने की बात कर रहे हैं। 

लाइन हानियों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने का आरोप

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अवधेश वर्मा ने कहा कि झूठे शपथ के सहारे टेंडर प्राप्त करने वाली सलाहकार कंपनी को काली सूची में डाला जाना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि कंपनी आंकड़ों में बाजीगरी कर रही है। जानबूझकर दक्षिणांचल और पूर्वांचल की लाइन हानियों को 40 से 42 फीसदी के बीच दिखाने का प्रयास कर रही है। ताकि निजीकरण को जायज ठहराया जा सके। वर्मा ने कहा कि निजीकरण में चल रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ मुख्य सचिव को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, लेकिन दुर्भाग्यवश वह खुद भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं।

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