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उपभोक्ता परिषद का एनर्जी टास्क फोर्स पर बड़ा आरोप Photograph: (YBN)
लखनऊ वाईबीएन संवाददाता। प्रदेश में बिजली निजीकरण (Electricity Privatisation) के बिडिंग डॉक्यूमेंट मसौदे को मंजूरी देने वाली एनर्जी टास्क फोर्स (इम्पावर्ड कमेटी) पर उपभोक्ता परिषद ने गंभीर आरोप लगाए हैं। परिषद का कहना है कि निजीकरण का अजब खेल चल रहा है। एनर्जी टास्क फोर्स ने पहले 2020 में प्रस्तावित गाइडलाइन के तहत प्रस्ताव के लिए अनुरोध (आरएफपी) बनाया। उसके बाद झूठा शपथ देने वाली ग्रांट थार्नटन कंपनी का सलाहकार के रूप में चयन किया। ऐसे में सलाहकार कंपनी की जालसाली में वह भी बराबर की दोषी है।
जनता की सहमति के कैसे आई नई गाइडलाइन
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि एनर्जी टास्क फोर्स की बैठक में अप्रैल 2025 में प्रस्तावित स्टैंडर्ड बिडिंग गाइडलाइन के आधार पर टेंडर में भाग लेने वाले उद्योगपतियों को कुछ शिथिलता देने पर सहमति बनी है। हालांकि, सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि वर्ष 2020 में ऊर्जा मंत्रालय ने जनता की सहमति और सुझाव के लिए जो स्टैंडर्ड बिडिंग गाइडलाइन बनाई थी, क्या उसे अंतिम रूप दे दिया गया यदि नहीं, तो फिर पावर कॉर्पोरेशन की ओर से एक नई स्टैंडर्ड बिडिंग गाइडलाइन कैसे पेश कर दी गई।
ऊर्जा मंत्रालय की वेबसाइट पर गाइडलाइन नहीं
अवधेश वर्मा के अनुसार, यदि कोई नई बिडिंग गाइडलाइन प्रस्तावित की गई है, तो पहले पुरानी गाइडलाइन को समाप्त कर उसे जनता से सुझाव लेने के लिए केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड किया जाना चाहिए था। लेकिन ऐसा कोई प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। इसके विपरीत पावर कॉरपोरेशन खुद ही ऐसी गाइडलाइन का खुलासा कर रहा है, जो उसके अधिकार क्षेत्र में आती ही नहीं। यह गाइडलाइन तभी वैध मानी जाएगी जब यह आधिकारिक रूप से ऊर्जा मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध हो। एनर्जी टास्क फोर्स को यह समझना होगा कि जिन 42 जनपदों के बिजली वितरण के निजीकरण की बात की जा रही है, वहां 1959 से बिजली विभाग की सेवाएं संचालित हैं। ऐसे में किसी उद्योगपति को जल्दबाजी में विभाग सौंपा नहीं जा सकता।
बिजली निजीकरण का रास्ता साफ
बिजली कर्मियों के विरोध के बावजूद राज्य सरकार ने 42 जिलों की बिजली के निजीकरण की प्रक्रिया आगे बढ़ा दी है। एनर्जी टास्क फोर्स ने बिडिंग डॉक्यूमेंट के मसौदे को मंजूरी दे दी है और पावर कॉरपोरेशन को प्रक्रिया पूरी करने का अधिकार दिया गया है। अब यह प्रस्ताव विद्युत नियामक आयोग की राय के बाद कैबिनेट में जाएगा। कैबिनेट में मंजूरी मिलते ही शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों की बिजली आपूर्ति निजी कंपनियों को सौंप दी जाएगी।