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Fire News : पुराने हादसों से नहीं लिया सबक, लखनऊ में होटल, इमारतें फिर धधकीं

Lucknow Fire : शहर में लगातार बहुमंजिला व्यावसायिक और रिहायशी इमारतें बन रहीं हैं, लेकिन इनमें आग से सुरक्षा के इंतजाम नाकाफी हैं। इनमें से कई व्यावसायिक इमारतें शहर की तंग गलियों वाले क्षेत्रों में हैं।

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Deepak Yadav
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सुरक्षा के इंतजाम नाकाफी, होटल-इमारतें फिर धधकीं Photograph: (Social Media)

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  • मोहन होटल की जांच तक नहीं, सुरक्षा के इंतजाम नाकाफी
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लखनऊ वाईबीएन संवाददाता। चारबाग के मोहन होटल में बीती रात आग लगने की घटना ने एक बार फिर नाका के होटल एसएसजे व विराट इंटरनेशनल तथा प्राग नारायण रोड स्थित होटल लेवाना अग्निकांड को ताजा कर दिया है। लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) के प्रवर्तन इंजीनियरों की लापरवाही से हर साल हादसे हो रहे हैं। मगर एलडीए के जिम्मेदार अफसरों पर कोई असर नहीं पड़ा है। मोहन होटल में आग लगने के हादसे में लगभग 30 लोग बाल-बाल बच गए। प्राधिकरण के जिम्मेदार अफसरों ने बिल्डिंग की पड़ताल करने की कोई जरूरत नहीं समझी। एलडीए से होटल का नक्शा पास है या नहीं। इसकी जानकारी सामने नहीं आ सकी है। 

शहर में बढ़ती इमारतें, सुरक्षा नाकाफी

चारबाग में सात वर्ष होटल एसएसजे व विराट इंटरनलेशनल में आग लगने से नौ लोगों की जलकर मौत हो गई थी। इसी तरह 2022 में होटल लेवाना में आग लगने पर चार लोगों की मौत हो गई थी। इन हादसों का एलडीए के अफसरों पर कोई असर नहीं हुआ है। जांच हुई, अफसर निलंबित हुए, फिर फाइल बंद और अफसर, इंजीनियर बहाल। इस जोन के जोनल अधिकारी विपिन शिवहरे से संपर्क करने पर कोई जवाब नहीं मिल सका। आरोप है कि इस होटल का निर्माण भी मानकों के अनुसार नहीं है। आग बुझाने में दककल कर्मियों को मशक्कत करनी पड़ी। शहर में लगातार बहुमंजिला व्यावसायिक और रिहायशी इमारतें बन रहीं हैं, लेकिन इनमें आग से सुरक्षा के इंतजाम नाकाफी हैं। इनमें से कई व्यावसायिक इमारतें शहर की तंग गलियों वाले क्षेत्रों में हैं। इसके बाद भी जिम्मेदार अपनी कार्यशैली में लापरवाही बरत रहे हैं। 

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250 भवनों में अग्निशमन सुरक्षा की कमी

लखनऊ विकास प्राधिकरण के अभियंताओं ने विभिन्न इलाकों में अवैध निर्माण का सर्वे किया था। यह सर्वे होटल लेवाना में हुए अग्निकांड में चार लोगो की मौत के बाद शासन की सख्ती के चलते विकास प्राधिकरण से सर्वे करवाया गया था। इस दौरान 250 से अधिक भवनों में अग्निशमन सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम नहीं मिले थे। इसकी पड़ताल के लिए सूची अग्निशमन विभाग को दी गई तो दमकल कर्मियों को यह अवैध निर्माण ढूंढे नहीं मिले। अग्निशमन विभाग की ओर से लगातार कार्रवाई के लिए एलडीए को नोटिस भेजी जा रही है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। बहुमंजिला भवनों की सूची में पता स्पष्ट न होने के कारण भवनों को खोजने एवं चिन्हित करने में काफी कठिनाई हो रही है, जिससे उन भवनों के सम्बंध में रिपोर्ट नहीं लग पा रही है। शहर के व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, शैक्षणिक संस्थानों और होटलों का अग्नि सुरक्षा सर्वेक्षण कराया गया था। सभी बहुमंजिला अपार्टमेंट, स्कूल, नर्सिंग होम और व्यावसायिक परिसर जो 15 मीटर से अधिक ऊंचे हैं और 500 वर्ग मीटर से अधिक जगह घेरते हैं, सर्वेक्षण के दायरे में आते हैं।

पहले भी होटलों में लग चुकी है आग

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  • 13 अप्रैल 2022 को विभूतिखंड के सेवी ग्रैंड होटल में आग लगने से सौ लोग फंसे।
  • 19 जून 2018 को एसएसजे और विराट होटल में आग लगने से सात की मौत कई घायल।
  • 19 फरवरी 2018 को गाजीपुर के अवध इंटरनेशनल में आग कई लोग फंसे।
  • 20 जून 2016 को नाका के संता इन होटल में आग लगने से दो युवक झुलसे।
  • 7 मई 2017 को गाजीपुर के बेबियन इन होटल में आग लगने से लाखों का नुकसान।
  • 14 अगस्त 2013 को दीप अवध होटल में आग 84 लोग फंसे, जापानी नागरिक घायल।
  • 3 मई 2016 को सप्रू मार्ग के गोमती होटल में आग से मची भगदड़।

फाइलों में दफन हो गए जांच के आदेश 

चारबाग व नाका में बड़ी संख्या में अवैध होटल खुले हुए हैं। होटल अग्निकांड के बाद कमिश्नर व डीएम ने सभी होटलों की जांच के आदेश दिए थे। कहा गया था जो होटल चल रहे हैं, उनकी जांच की जाए कि क्या उनके चलने का लाइसेंस विधिक रूप से प्राप्त है। क्या होटल व्यवसाय लैंड यूज में चल रहे हैं अथवा भू उपयोग के विचलन में कार्यरत हैं। क्या इन होटलों के नक्शे विधिक रूप से सक्षम स्तर से अनुमोदित हैं अथवा नहीं? फायर एनओसी की मौजूदा स्थिति भी ज्ञात की जाए। ग्राउंड वाटर के उपयोग की तथा वाटर डिस्चार्ज की स्थिति व वैधानिकता की भी जांच हो। होटल, रेस्टोरेेंट, बार एवं नर्सिंग होम्स का भवन का सही भू उपयोग है, अथवा नहीं? भवन का मानचित्र, नगर निगम व एलडीए से स्वीकृत है या नहीं और संबंधित विभाग से अनापत्ति प्राप्त की गई है या नहीं? यदि गलत भू उपयोग पर ये चल रहे हैं तो टीम के सक्षम अधिकारियों की ओर से उसे सील कर दिया जाए।

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सेफ्टी ऑडिट का नहीं गठित हुआ पैनल 

लखनऊ विकास प्राधिकरण क्षेत्र में 15 मीटर या उससे अधिक ऊंचे बहुमंजिला भवनों का हर 5 वर्ष में स्ट्रक्चरल सेफ्टी ऑडिट कराए जाने का निर्णय बोर्ड बैठक में लिया गया था। स्ट्रक्चरल सेफ्टी ऑडिट को अग्निशमन विभाग के साथ लिंक किया जाएगा, जिससे कि कार्रवाई को प्रभावी तरीके से प्रचलित किया जा सके। इसके लिए लखनऊ विकास प्राधिकरण स्ट्रक्चरल इंजीनियर, कंसल्टेंट व फर्म का पैनल गठित करेगा। प्राधिकरण बोर्ड की 182वीं बैठक में इसका प्रस्ताव पास किया गया है। दावा किया गया था कि लोगों की जानमाल की सुरक्षा को देखते हुए बहुमंजिला भवनों का स्ट्रक्चरल सेफ्टी आॅडिट कराया जाना बेहद अनिवार्य है। इसकी कार्रवाई अभी तक शुरू नहीं हो सकी है।

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