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UPPCL ने ईंधन अधिकार शुल्क में की बढ़ोतरी Photograph: (YBN)
पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम के निजीकरण (PuVVNL-DVVNL Privatisation) से पहले प्रदेश के तीन करोड़ 45 लाख उपभोक्ताओं को महंगी बिजली का झटका लगा है। उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेट (UPPCL) ने एक अप्रैल से बिजली दरों में ईंधन अधिभार शुल्क में 1.24 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी है। जिससे इस महीने जमा किए जाने वाले बिल में उपभोक्ताओं को अतिरिक्त राशि चुकानी होगी। उपभोक्ता परिषद ने इस फैसले पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि प्रदेश में उपभोक्ताओं का कुल 33,122 करोड़ रुपये सरप्लस है। ऐसे में ईंधन अधिभार शुल्क नहीं बढ़ाना चाहिए था।
33,122 करोड़ सरप्लस के बावजूद बढ़ा शुल्क
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद (UPRVUP) के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा (Avadhesh Kumar Verma) ने कहा कि बहुवर्षीय टैरिफ वितरण विनियमन-2025 में संशोधन के बाद यूपीपीसीएल अब हर माह अपने स्तर पर ईंधन अधिभार शुल्क बढ़ा और घटा सकेगा। उन्होंने कहा कि कहा कि उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर लगभग 33,122 करोड़ रुपये सरप्लस निकल रहा है। ऐसे में नियम के तहत ईंधन अधिभार शुल्क में बढ़ोतरी नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि जनवरी महीने के लिए पावर कॉर्पोरेशन का बिजली दरों में 78.99 करोड़ रुपये का अधिभार शुल्क निकल रहा था, जिसे उपभोक्ताओं के पहले से सरप्लस से समायोजित किया जा सकता था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
1 अप्रैल से बढ़ा शुल्क लागू
अवधेश वर्मा ने कहा कि पावर कारपोरेशन ने गुपचुप तरीके से 27 मार्च को आदेश जारी कर एक अप्रैल से बढ़ा शुल्क लागू कर कर दिया गया। इस महीने में जब उपभोक्ता अपना बिजली बिल जमा करेंगे तो उन्हें कुल राशि पर अतिरिक्त 1.24 प्रतिशत ईंधन अधिभार शुल्क चुकाना होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में निजी घरानों के दबाव और विद्युत नियामक आयोग के काले कानून के चलते अब हर महीने बिजली दरों में ईंधन अधिभार शुल्क के रूप में बढ़ोतरी का रास्ता खुल गया है। पांच साल बाद पहली बार बिजली दरों में बढ़ोतरी की गई है।
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