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Health News : सिविल अस्पताल में लेप्रोस्कोपिक तकनीक से गाल ब्लैडर की सर्जरी शुरू, महिला का हुआ सफल ऑपरेशन

Health News : डॉ. आनंद मिश्र ने बताया कि महिला को लंबे समय से पेट दर्द की शिकायत थी। जांच में पता चला कि उसके गॉल ब्लैडर में पथरी है। अस्पताल में लेप्रोस्कोपिक तकनीक से महिला की सर्जरी की गई। ऑपरेशन पूरी तरह से सफल रहा। 

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Deepak Yadav
civil hospital Laparoscopic Surgery

सिविल अस्पताल में लेप्रोस्कोपिक तकनीक से गाल ब्लैडर की सर्जरी शुरू Photograph: (YBN)

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लखनऊ वाईबीएन संवाददाता। राजधानी में हजरतगंज स्थित श्यामा प्रसाद मुखर्जी (सिविल) अस्पताल में लेप्रोस्कोपिक तकनीक से गॉल ब्लैडर (Gall bladder) सर्जरी की शुरुआत हो गई है। मंगलवार को बाराबंकी निवासी 37 वर्षीय महिला की सफल सर्जरी की गई। उसकी सेहत में सुधार हो रहा है। डॉ. आनंद मिश्र ने बताया कि महिला को लंबे समय से पेट दर्द की शिकायत थी। जांच में पता चला कि उसके गॉल ब्लैडर में पथरी है। अस्पताल में लेप्रोस्कोपिक तकनीक से महिला की सर्जरी की गई। ऑपरेशन पूरी तरह से सफल रहा। 

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डा. समीर मिश्रा की देखरेख में महिला की सर्जरी

डा. आनंद ने बताया कि महिला की सर्जरी किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी ट्रामा सर्जरी के डा. समीर मिश्रा की देखरेख में की गई। डॉ. समीर ने केजीएमयू की कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद के आउटरीच प्रोग्राम और प्रमुख सचिव पार्थ सेन सारथी शर्मा के सेंटर फार एडवांस स्किल डेवलपमेंट के तहत सिविल अस्पताल के स्टाफ को प्रशिक्षण दिया। उन्होंने बताया कि ओपन सर्जरी में मरीज को स्वस्थ होने में अधिक समय लगता है। अब लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से मरीजों को तेजी से लाभ मिलेगा। सर्जरी टीम में डॉ. समीर बे मिश्रा, डॉ. आनंद मिश्र, डॉ. आदिल, और डॉ. सचिन शामिल थे।

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के फायदे

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कम दर्द (Less Pain): लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में पारंपरिक सर्जरी की तरह बड़े चीरे नहीं लगाए जाते। छोटे-छोटे चीरे लगाए जाते हैं, जिससे मरीज को कम दर्द होता है। कम दर्द के कारण मरीज जल्दी स्वस्थ हो जाता है और सामान्य जीवन में लौट आता है।

तेजी से रिकवरी (Fast Recovery) : लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के बाद रिकवरी का समय बहुत कम होता है। 

कम निशान (Less Marks) : पारंपरिक सर्जरी में बड़े-बड़े चीरे लगने से शरीर पर स्थायी निशान रह जाते हैं। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में छोटे-छोटे चीरे लगाए जाते हैं, जिससे शरीर पर बहुत कम निशान पड़ते हैं और यह निशान भी समय के साथ धीरे-धीरे हल्के हो जाते हैं।

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कम संक्रमण का खतरा (Low Risk of Infection) : लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में छोटे चीरे होने के कारण संक्रमण का खतरा बहुत कम होता है। कम खुले घाव और कम रक्तस्राव से संक्रमण की संभावना भी कम हो जाती है।

कम रक्तस्राव (Less Bleeding) : लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में पारंपरिक सर्जरी की तुलना में बहुत कम रक्तस्राव होता है। इससे मरीज की सर्जरी के दौरान और बाद में कम खून की जरूरत पड़ती है।

जल्दी अस्पताल से छुट्टी (Early Discharge from Hospital) : लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के बाद मरीज को जल्दी अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है। अधिकतर मामलों में मरीज को एक या दो दिनों में ही अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है, जबकि पारंपरिक सर्जरी में यह समय काफी लंबा हो सकता है।

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कम दवाइयों की आवश्यकता (Less Medicines Required) : कम दर्द और तेजी से रिकवरी के कारण मरीज को दर्द निवारक और अन्य दवाइयों की कम आवश्यकता होती है। इससे दवाइयों के साइड इफेक्ट्स (Side Effects) का खतरा भी कम हो जाता है।

सामान्य जीवन में जल्दी वापसी (Early Return to Normal Life) : लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के बाद मरीज जल्दी से अपने सामान्य जीवन में लौट सकता है। यह तकनीक कामकाजी लोगों और उन लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है, जो अपने दैनिक कार्यों में जल्दी वापसी चाहते हैं।

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