Advertisment

Lucknow University : चैत्र नवरात्रि-नव संवत्सर पर भव्य समारोह का आयोजन, अर्धनारीश्वर नृत्य ने देख मंत्रमुग्ध हुए दर्शक

लखनऊ विश्वविद्यालय के सांस्कृतिकी विभाग में मंगलवार को को एपी सेन सभागार में नव संवत्सर एवं चैत्र नवरात्रि के उपलक्ष्य में भव्य सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

author-image
Abhishek Mishra
grand celebration organized Chaitra Navratri Nav Samvatsar

लखनऊ विश्वविद्यालय में चैत्र नवरात्रि—नव संवत्सर पर भव्य समारोह का आयोजन Photograph: (YBN)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता

Advertisment

लखनऊ विश्वविद्यालय के सांस्कृतिकी विभाग में मंगलवार को को एपी सेन सभागार में नव संवत्सर एवं चैत्र नवरात्रि के उपलक्ष्य में भव्य सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर माननीय कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय, प्रो-वाइस चांसलर प्रो. मनुका खन्ना, सांस्कृतिकी निदेशक प्रो. अंचल श्रीवास्तव सहित विश्वविद्यालय के अन्य गणमान्य सदस्य उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन इला, निष्ठा ओझा और अभिन्न श्याम तिवारी ने किया।

दीप प्रज्ज्वलन से हुआ कार्यक्रम का शुभारंभ

कार्यक्रम का शुभारंभ कुलपति के दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। इसके बाद विभिन्न नृत्य, नाटक और विद्वानों के व्याख्यान प्रस्तुत किए गए। जिन्होंने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस आयोजन में अर्धनारीश्वर पर नृत्य और अहिल्याबाई होल्कर नाटक मुख्य आकर्षण रहे। जिन्हें ऐतिहासिक गहराई और प्रभावशाली प्रदर्शन के लिए सराहा गया। इसके अलावा माँ दुर्गा को समर्पित शास्त्रीय और समकालीन नृत्य प्रस्तुतियों की श्रृंखला प्रस्तुत की गई। इनमें अंजलि द्विवेदी ने ऐगिरी नंदिनी, अनन्या सिंह और वंशिका श्रीवास्तव ने माँ भवानी, सुहानी ने महाकाली, रुक्मिणी निषाद ने आई जगदंबे तथा स्नेहा साहू और आकृति तिवारी ने समकालीन दुर्गा गीतों का मिश्रण प्रस्तुत कर दर्शकों को भावविभोर कर दिया।

Advertisment

संगीत और कला की शानदार प्रस्तुतियां 

शैक्षणिक सत्र में विद्वानों ने शक्ति, नारीत्व और भारतीय परंपरा में महिलाओं की भूमिका पर अपने विचार रखे। ओमिशा द्विवेदी ने शक्ति का स्पेक्ट्रम: अमृत कौर ने कैसे राष्ट्र का निर्माण किया, फिर भी विस्मृत हो गईं विषय पर व्याख्यान दिया। आयुषी द्विवेदी ने भारतीय परंपरा में महिलाओं के दार्शनिक योगदान पर चर्चा की, जबकि देवेश पांडेय ने शक्ति, प्रकृति और औपनिवेशिक भारत में महिला मताधिकार पर अपने विचार रखे। इसके अलावा अनुभव, वैश्नवी, अक्षरा और प्रज्ञा ने दिव्य शक्ति, शाक्त परंपरा में संगीत और महिला केंद्रित कानूनों पर अपने शोध प्रस्तुत किए।

प्रतिभाशाली विजेताओं को किया गया सम्मानित

Advertisment

कार्यक्रम में संगीत और कला की अद्भुत प्रस्तुतियां भी देखने को मिलीं। अच्युत ने अपनी तबला वादन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया, वहीं स्वर्णिम सिंह ने राग दुर्गा में बांसुरी वादन कर सभी को भावविभोर कर दिया। प्रतियोगिता के विजेताओं को भी सम्मानित किया गया। वाद-विवाद प्रतियोगिता में आर्यन कुशवाहा और अतुलित पांडे, कविता पाठ में अर्पणा मिश्रा, और मोनो एक्टिंग में शशिकांत को कुलपति महोदय द्वारा सम्मानित किया गया।

कलाकारों और दर्शकों का आभार

कार्यक्रम का समापन प्रो. अंचल श्रीवास्तव के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। जिसमें उन्होंने सभी वक्ताओं, कलाकारों और दर्शकों का आभार व्यक्त किया। यह आयोजन हिंदू नव वर्ष, नवरात्रि और राम नवमी के आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व को उजागर करने में पूरी तरह सफल रहा। संगीत, नृत्य, इतिहास और दर्शन के इस अद्भुत संगम ने भारतीय संस्कृति की समृद्धि को बखूबी प्रस्तुत किया।

Advertisment
Advertisment