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Lucknow News : सरकारी जमीन पर कब्जा पड़ा भारी, हाई कोर्ट ने Milkipur से सपा के पूर्व विधायक को लगाई कड़ी फटकार

अयोध्या की मिल्कीपुर तहसील के अछौरा गांव में सपा के पूर्व विधायक आनंद सेन यादव ने लगभग छह बीघा सरकारी जमीन पर कब्जा कर लिया था। यह राजकीय भूमि के रूप में सरकारी अभिलेखों में दर्ज है।

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Deepak Yadav
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सरकारी जमीन पर मिल्कीपुर के पूर्व विधायक का अवैध कब्जा हुआ रद्द Photograph: (YBN)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ खंडपीठ ने मिल्कीपुर से सपा के पूर्व विधायक आनंद सेन यादव (Anand Sen Yadav) को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने पूर्व विधायक को छह बीघा सरकारी जमीन से अवैध कब्जे हटाने के उपसंचालक चकबंदी के न्यायालय में पूर्व के नोटिस का जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। हालांकि प्रशासन ने पहले ही जमीन को सरकारी खाते में दर्ज करा लिया है। 

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स्कूल के नाम दर्ज करा ली थी सरकारी जमीन

अयोध्या की मिल्कीपुर तहसील के अछौरा गांव में सपा के पूर्व विधायक आनंद सेन यादव ने लगभग छह बीघा सरकारी जमीन पर कब्जा कर लिया था। यह राजकीय भूमि के रूप में सरकारी अभिलेखों में दर्ज है। उसे तहसील की खतौनी से जालसाली कर अपने स्कूल किसान विद्यालय के नाम राजकीय अभिलेखों में दर्ज कर लिया था। चकबंदी अधिकारी सदर अयोध्या ने मामले की रिपोर्ट उपसंचालक चकबंदी को सौंपी। इसमें स्पष्ट किया कि संबंधित जमीन बंदोबस्त रिकॉर्ड में श्रेणी एक राजकीय भूमि के तौर पर दर्ज है। 

सात दिन में जवाब दाखिल करने का आदेश

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इस बाबत आनंद सेन यादव को 2019 से चकबंदी कोर्ट से कई नोटिस भेज गए। इसमें कहा गया कि पूर्व विधायक स्कूल के जमीन के कागजात पेश कर अपना पक्ष रखें। लेकिन आनंद सेन ने इसका जवाब नहीं दिया। वर्ष 2024 में फिर से जारी किए गए नोटिस को आनंद सेन ने उच्च न्यायालय लखनऊ खंडपीठ में चुनौती दी। सुनवाई के दौरान अदालतन ने याची और पूर्व विधायक को आदेश दिया कि सात दिन में अपना जवाब  उपसंचालक चकबंदी के न्यायालय में दाखिल करें। प्रदेश सरकार को यह निर्देश दिया कि नोटिस का निस्तारण 10 दिन के भीतर किया जाए।

सरकारी खाते में जमीन दर्ज

राज्य सरकार की तरफ से कृष्ण सिंह ने पैरवी की। अदालत के आदेश के अनुपालन में डिप्टी डायरेक्टर चकबंदी डीडीसी, अयोध्या ने इस जमीन को राजकीय संपत्ति घोषत करते हुए किसान विद्यालय के नाम दर्ज प्रविष्ट को रद्द कर दिया और जमीन को पुन: सरकारी खाते में दर्ज कर दिया है।

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