लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता
प्रदेश में अस्पताल और नर्सिंग होम खोलने की राह अब आसान होने जा रही है। सरकार ने भवन निर्माण एवं विकास उपविधियों में बड़े बदलावों का प्रस्ताव तैयार किया है, जिसके तहत अब केवल 3000 वर्ग मीटर भूमि पर भी अस्पताल और नर्सिंग होम खोले जा सकेंगे। अभी तक इसके लिए 20 हजार वर्ग मीटर भूमि की अनिवार्यता थी। प्रस्तावित नियमों पर आपत्तियां और सुझाव मांगे गए हैं, जिन्हें अंतिम रूप देने के बाद कैबिनेट की मंजूरी लेकर लागू किया जाएगा। नए प्रावधान लागू होने के बाद छोटे भूखंडों पर भी अस्पताल और मेडिकल सुविधाओं का विकास संभव हो सकेगा। सरकार को इस कदम से 10 हजार करोड़ रुपये के निवेश की उम्मीद है।
50 बिस्तरों का बनेगा नर्सिंग होम
नए ड्राफ्ट के अनुसार गैर-बिस्तर वाले मेडिकल प्रतिष्ठानों के लिए अब 100 वर्ग मीटर भूमि पर भी नक्शा पास कराया जा सकेगा, जबकि पहले यह सीमा 300 वर्ग मीटर थी। वहीं, नर्सिंग होम की क्षमता को 10 बिस्तरों से बढ़ाकर 50 बिस्तर कर दिया गया है।
इसके अलावा, सड़कों की चौड़ाई का मानक भी घटाया गया है। अब 12 मीटर और 9 मीटर चौड़ी सड़कों पर भी अस्पतालों का नक्शा पास किया जा सकेगा, जबकि अभी तक 18 मीटर चौड़ाई की शर्त अनिवार्य थी।
निर्माण मानकों में बड़े संशोधन
निर्माण मानकों में बड़े बदलाव किए गए हैं। अब ग्राउंड कवरेज पर लगाया गया प्रतिबंध हटा दिया गया है, जिससे निर्माणकर्ताओं को अधिक लचीलापन मिलेगा। सेटबैक नियमों को भी युक्तिसंगत बनाया गया है – जहां अब सामने की ओर 15 मीटर और अन्य सभी ओर 12 मीटर का सेटबैक देना अनिवार्य होगा। भूमि के मुख्य उपयोग के अनुरूप सहायक गतिविधियों के लिए 10% ग्राउंड कवरेज के साथ अलग पार्किंग ब्लॉक बनाने की अनुमति दी गई है। साथ ही, एंबुलेंस के लिए अलग से पार्किंग की व्यवस्था करना अब अनिवार्य होगा। बेसमेंट में डायग्नोस्टिक सेवाएं, शौचालय आदि के निर्माण की भी अनुमति दी जा रही है। इसके अतिरिक्त, 45 मीटर या उससे अधिक चौड़ी सड़कों पर फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) के प्रतिबंध को समाप्त किया जा रहा है और भवनों की ऊंचाई संबंधी नियमों में भी ढील दी जा रही है, जिससे अधिक ऊंचे भवनों के निर्माण का मार्ग प्रशस्त होगा।
स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार को मिलेगा बढ़ावा
राज्य सरकार के मुताबिक इन बदलावों से स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़े निवेश का मार्ग प्रशस्त होगा और सुलभ स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार तेजी से हो सकेगा। छोटे और मध्यम स्तर के निजी निवेशक भी अब आसानी से अस्पताल और नर्सिंग होम स्थापित कर सकेंगे। इससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे और प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था मजबूत होगी।