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India Pakistan Tension : उपभोक्ता परिषद की मांग, युद्ध जैसे हालात में बिजली निजीकरण का फैसला वापस ले सरकार

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसे हालात को देखते हुए सरकार को निजीकरण का फैसला तुरंत वापस लेना चाहिए

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Deepak Yadav
India Pakistan Tension electricity privatisation

उपभोक्ता परिषद की मांग, युद्ध जैसे हालात में बिजली निजीकरण का फैसला वापस ले सरकार Photograph: (YBN)

लखनऊ वाईबीएन संवाददाता।भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की स्थिति को देखते हुए उपभोक्ता परिषद ने यूपी सरकार से बिजली के निजीकरण (Electricity Privatisation) का फैसला वापस लेने की मांग की है। परिषद का कहना है कि निजीकरण से उपभोक्ताओं को नुकसान और उद्योगपतियों को फायदा होगा। वैसे भी​ अब विद्युत अधिनियम के तहत कानूनन निजीकरण नहीं किया जा सकता है। इसके साथ ही झूठे शपथ का खुलासा होने के बाद भी सलाहकार कंपनी के खिलाफ अभी तक कार्रवाई नहीं होने पर परिषद ने नाराजगी जताई है।  

निजीकरण से हर वर्ग को होगा नुकसान

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा (Avadhesh Kumar Verma) ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसे हालात को देखते हुए सरकार को निजीकरण का फैसला तुरंत वापस लेना चाहिए। ताकि 3.45 करोड़ उपभोक्ताओं को राहत मिल सके। उन्होंने बताया कि 42 जिलों के निजीकरण का मसौदा तैयार कर रही ग्रांट थार्नटन कंपनी पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है। इस मामले में कानूनी राय ली जा रही है। इसके बाद मामला बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में जाएगा और सरकार को झूठा शपथ पत्र देने पर रिपोर्ट भेजी जाएगी। वर्मा ने कहा कि पावर कॉरपोरेशन की इस कंपनी को बचने में सफल नहीं होगा।

कई अफसर निजी घरानों से मिले

अवधेश वर्मा ने कहा कि पावर कॉरपोरेशन ने नियामक आयोग में मल्टी ईयर टैरिफ के नए प्रारूप में पूर्वांचल और दक्षिणांचल के निजीकरण का कोई जिक्र नहीं किया है। ऐसे में अब मार्च 2026 तक विद्युत अधिनियम 2003 के प्रावधानों के तहत कानूनी रूप से निजीकरण संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि निजीकरण से किसान, गरीब, व्यापारी समेत सभी वर्गों को नुकसान होगा। इसलिए सरकार को तुरंत निजीकरण का फैसला वापस लेकर ऊर्जा विभाग को सरकारी क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में आगे बढ़ाना चाहिए। वर्मा ने आरोप लगाया कि कुछ अफसर निजी घरानों के साथ मिलकर 42 जिलों के निजीकरण की प्र​क्रिया को आगे बढ़ाने में लगे हैं। उसी का नतीजा है कि झूठा शपथ पत्र देने वाली कंपनी पर अभी तक कार्रवाई नहीं हुई है।

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