लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता
लखनऊ विश्वविद्यालय के अनुप्रयुक्त अर्थशास्त्र विभाग में कार्यरत प्रोफेसर बिमल जायसवाल के विरुद्ध गंभीर अनियमितताओं के आरोपों की जांच के लिए एक नई समिति का गठन किया गया है। प्रोफेसर जायसवाल पर वर्ष 2005 में अन्य पिछड़ा वर्ग की नॉन-क्रीमीलेयर श्रेणी में सहायक प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति में अनियमितता, परीक्षा केंद्रों के निर्धारण में गड़बड़ी, शिक्षक नियुक्तियों में अनियमितताएं, अंकों में हेरफेर और शोध विद्यार्थियों का शोषण करने जैसे गंभीर आरोप लगे हैं।
10 मार्च को हाई कोर्ट ने जारी किया आदेश
इस मामले में अधिवक्ता रोहितकांत द्वारा 3 दिसंबर, 2024 को प्रस्तुत शिकायती पत्र के आधार पर शासन ने 8 जनवरी, 2025 को एक जांच समिति का गठन किया था। हालांकि इस कार्यालय आदेश के विरुद्ध प्रो. जायसवाल द्वारा उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में रिट याचिका दायर की गई थी, जिस पर न्यायालय ने 27 जनवरी, 2025 को आदेश पारित किया था। इसके बाद शासन द्वारा दायर विशेष अपील पर उच्च न्यायालय ने 10 मार्च, 2025 को आदेश पारित किया, जिसके अनुपालन में उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 की धारा-8 के तहत पूर्व में गठित जांच समिति को निरस्त करते हुए एक नई जांच समिति का गठन किया गया है।
15 दिन के भीतर देने होगी जांच रिपोर्ट
नवगठित समिति में लखनऊ मंडलायुक्त को अध्यक्ष बनाया गया है, जबकि उच्च शिक्षा विभाग की विशेष सचिव निधि श्रीवास्तव एवं उच्च शिक्षा निदेशक को सदस्य नियुक्त किया गया है। समिति को निर्देश दिया गया है कि वह नियमानुसार जांच करते हुए 15 दिनों के भीतर शासन को अपनी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करे।