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Road accident: एक साथ उठीं पांच अर्थियां, मुसाहिबगंज का हर दिल रो पड़ा, खाटू श्याम के दर्शन को निकले थे, कफन में लौटा

सोमवार की सुबह जब मुसाहिबगंज की गलियों में पांच शव एक साथ पहुंचे, तो जैसे वक़्त ठहर गया। पूरा मोहल्ला सन्न हो गया, हर आंख नम और हर दिल दहल गया।जो परिवार कल तक हंसते घर से खाटू श्याम के दर्शन के लिए निकला था,आज उनकी एक झलक पाने को लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी।

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Shishir Patel
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एक साथ पांच अर्थी निकली तो उमड़ पड़ी भीड़।

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता

सड़क हादसे ने एक ऐसा कहर ढाया कि पूरा मोहल्ला स्तब्ध रह गया। ठाकुरगंज के मुसाहिबगंज स्थित घर की तंग गलियों से सोमवार सुबह जब एक साथ पांच अर्थियां निकलीं, तो हर आंख नम थी, हर दिल दहला हुआ। चूंकि सत्यप्रकाश का पूरा परिवार—पत्नी, बेटा, बहू और छह महीने की पोती—जयपुर के पास एक दर्दनाक सड़क हादसे में काल के गाल में समा गया।जो लोग कल तक मुस्कान और नमस्कार के लिए पहचाने जाते थे, आज वो घर सिसकियों और चीखों से गूंज रहा है। मोहल्ला कह रहा है—इतने अच्छे लोगों के साथ ये नहीं होना चाहिए था।

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रविवार को ठाकुरगंज के मुसाहिबगंज निवासी सत्यप्रकाश (60) अपने परिवार के साथ खाटू श्याम दर्शन के लिए निकले थे। साथ में पत्नी रामा देवी (55), बेटा अभिषेक (35), बहू प्रियांशी (30) और छह महीने की पोती श्री भी थीं। मैनपुरी से निकलने के बाद कार जयपुर के नेकावाला टोल के पास पहुंची ही थी कि सामने से आ रहे ट्रेलर से जोरदार टक्कर हो गई। भिड़ंत इतनी जबरदस्त थी कि ट्रेलर भी पलट गया और कार पूरी तरह चकनाचूर हो गई।पुलिस व स्थानीय लोगों ने घंटों की मशक्कत के बाद शवों को कार से बाहर निकाला। जयपुर पुलिस ने जब ठाकुरगंज पुलिस के ज़रिए परिजनों को सूचना दी, तो पूरा मोहल्ला मानो जम गया—सन्नाटे में डूबा हुआ, यकीन से कोसों दूर।

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अर्थियों के साथ टूटा सपना, बिखरा परिवार

सोमवार सुबह जब पांचों शव एक साथ घर पहुंचे, तो जो दृश्य था, उसने हर दिल को झकझोर दिया। बड़ा बेटा हिमांशु और उसकी पत्नी दहाड़ें मार-मार कर रो रहे थे। मोहल्ले की महिलाएं कांपती जुबान में कहती रहीं—"भगवान इतना बेरहम कैसे हो सकता है?"सत्यप्रकाश अपने छोटे बेटे अभिषेक से मिलने मैनपुरी गए थे। वहीं से खाटू श्याम जाने का निर्णय लिया गया। दो गाड़ियों में सवार होकर परिवार निकला, लेकिन लौटकर सिर्फ एक गाड़ी में पांच शव आए। अब परिवार में केवल बड़ा बेटा हिमांशु, उसकी पत्नी और उनका पांच साल का बेटा ही बचे हैं।

मोहल्ला बोले—ऐसे परिवार के साथ ऐसा क्यों?

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सत्यप्रकाश एक बेहद मिलनसार और विनम्र व्यक्ति थे। मोहल्ले में उनकी पहचान हमेशा नम्रता और सद्भाव के लिए थी। जो भी उन्हें जानता था, यही कहता है कि इतना अच्छा परिवार था—ऐसा नहीं होना चाहिए था।उनकी बहू प्रियांशी एक बैंक मैनेजर थीं और छुट्टी लेकर दर्शन के लिए गई थीं। अभिषेक एचसीएल में इंजीनियर थे। छह महीने की मासूम श्री, जिसने अभी जीवन की शुरुआत ही की थी, वो भी अब तस्वीरों में ही रह गई है।सत्यप्रकाश के पांचों भाई अलग-अलग रहते हैं, लेकिन जैसे ही हादसे की सूचना मिली, सभी मौके पर पहुंच गए। घर में अब सिर्फ मातम पसरा है, दीवारें भी अब सिसकती हैं। मोहल्ले के लोग अपने आंसू पोंछते हुए एक-दूसरे से पूछ रहे हैं—"क्यों गया इतना सुंदर परिवार एक साथ?"

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