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लखनऊ में 'गुलाबी खंजर' का लोकार्पण, साहित्य जगत की हस्तियां जुटीं

गुलाबी खंजर के लेखक दिलीप पांडेय ने किताब के नाम के चयन पर एतिहासिक संदर्भ में बात की। उसके बाद लेखिका चंचल शर्मा ने बताया कि आखिर पाठकों को ये किताब क्यों पढ़नी चाहिए।

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Deepak Yadav
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पुस्तक 'गुलाबी खंजर' के लोकार्पण करते लेखक व आप सांसद संजय सिंह Photograph: (YBN)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता

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अमेजन बेस्टसेलर किताब 'गुलाबी खंजर' का तीसरा लोकार्पण समारो​ह रविवार को लखनऊ में कविशाला के कार्यक्रम 'आगाज' में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में 'गुलाबी खंजर' के दो लेखक दिलीप पांडेय और चंचल शर्मा, आप सांसद संजय सिंह,  राइटर हिमांशु वाजपेयी और वरिष्ठ पत्रकार नवलकांत सिन्हा शामिल हुए। इस अवसर पर संजय सिंह ने कहा कि दिलीप पांडेय राजनीति के साथ जिस तरह साहित्य के जीवन में अपनी अनुपम कृतियां लिख रहे हैं वो तारीफ के काबिल है। 

महिला किरदारों पर डाला प्रकाश

किताब के कवर और नाम पर प्रकाश डालते हुए दिलीप पांडेय ने अपने विचार साझा किए और किताब के नाम के चयन पर एतिहासिक संदर्भ में बात की। उसके बाद लेखिका चंचल शर्मा ने बताया कि आखिर पाठकों को ये किताब क्यों पढ़नी चाहिए। इसके साथ ही किताब के महिला किरदारों की भूमिका पर भी अपने विचार रखे। चंचल शर्मा ने किताब में महिला किरदारों पर प्रकाश डाला और बताया कि इसमें उपस्थित महिलाओं में वो सभी खासियत हैं, जिसे जानना बेहद रोचक है।

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गुलाबी खंजर काव्यात्मक और एतिहासिक यात्रा

हिमांशु वाजपेयी ने कहा कि गुलाबी खंजर की खासियत ये भी है कि इसे तीन लेखकों ने अपनी भाषा, शैली और विचार को किस तरह एक दूसरे से मिलाया होगा। उन्होंने कहा कि गुलाबी खंजर में लेखक ने समय और स्थान को इस तरह से पेश किया है कि पाठक खुद को उसमें डूबा हुआ महसूस करता है। यह एक काव्यात्मक और एतिहासिक यात्रा है, जो पाठकों के दिलों को छूने में सक्षम है। नवलकांत सिन्हा ने बताया कि इस किताब के भीतर इतिहास, सस्पेंस और रोमांच का एक अद्भुत मिश्रण है। जो पाठकों को अंत तक बांधे रखता है।

18 घंटे में हिस्टोरिकल फिक्शन कैटेगरी में पहला स्थान पर 

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एतिहासिक फिक्शन श्रेणी में शाामिल किताब गुलाबी खंजर पिछले कुछ महीनों से लगातार चर्चा का विषय बनी हुई है। अक्टूबर माह में भोपाल में इसकी घोषणा के साथ ही यह किताब साहित्यिक और सांस्कृतिक विमर्श का हिस्सा बन गई थी। नवंबर महीने में इसका कवर लांच हुआ और दिसम्बर में जैसे ही अमेजन पर किताब का प्री-ऑर्डर लिंक आया, किताब 18 घंटे के भीतर हिस्टोरिकल फिक्शन कैटेगरी में पहले स्थान और ओवर ऑल बुक कैटेगरी में तीसरे नंबर पर आ गई। और पिछले चार महीने में इस किताब ने मीडिया, साहित्यिक समुदाय और पाठकों के बीच एक गहरी छाप छोड़ी है। 

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