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आरती रावत के खिलाफ जांच पूरी Photograph: (मंडलायुक्त ने शासन को भेजी आरती रावत की जांच रिपोर्ट )
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। जिला पंचायत अध्यक्ष आरती रावत पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच पूरी हो गई है। मंडलायुक्त डा रोशन जैकब ने रिपोर्ट शासन को भेद दी है। सूत्रों के अनुसार, जांच के दौरान लगाए गए कई आरोपों में पुख्ता साक्ष्य मिले हैं, जिन्हें रिपोर्ट में शामिल किया गया है। इसके अतिरिक्त जिलाधिकारी की शुरूआती रिपोर्ट में भी कई बिंदु आरती रावत के खिलाफ पाए गए थे, उसको भी आधार बनाया गया है। अब शासन मंडलायुक्त की रिपोर्ट के आधार पर आगे कार्रवाई करेगा।
आरती पर वित्तीय अनियमितताओं का आरोप
गोसाईगंज से जिला पंचायत सदस्य नीतू रावत ने शासन को शिकायती पत्र भेजा था। जिसमें जिला पंचायत अध्यक्ष आरती रावत पर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगाए थे। नीतू रावत का कहना था कि आरती ने जिला पंचायत के फंड का दुरुपयोग किया और जमीनों के नक्शे पास कराने में अपने पद का दुरुपयोग किया। शिकायत को गंभीरता से लेते हुए शासन ने तत्कालीन जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार को इस मामले की जांच के निर्देश दिये थे। डीएम ने प्रारंभिक जांच कर रिपोर्ट दी थी।
आरती ने कोर्ट में दी चुनौती
शासन ने प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के आधार पर आरती रावत के सभी प्रशासनिक और वित्तीय अधिकार निलंबित कर करते हुए तीन सदस्यीय संचालन समिति का गठन किया गया था। इस फैसले के खिलाफ आरती रावत ने याचिका दाखिल करके कोर्ट में चुनौती दी। आरती की ओर से अदालत में अधिवक्ता ने तर्क दिया कि जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति ने 19 नवंबर 2024 को अपनी रिपोर्ट तो सौंप दी। लेकिन रिपोर्ट तैयार करने से पहले आरती को अपना पक्ष रखने या जवाब देने का अवसर नहीं दिया गया।
कोर्ट के आदेश पर पुनः जिपं अध्यक्ष पद पर बहाली
शासन ने मनमाने में तरीके से वित्तीय और प्रशासनिक अधिकारों को सीज कर दिया। कार्रवाई की जल्दी में नियमों का पालन नहीं किया गया। हालांकि न्यायालय के आदेश के बाद आरती पुनः जिला पंचायत अध्यक्ष के पद पर बहाल हो गईं, लेकिन इसी दौरान मंडलायुक्त स्तर पर उनके खिलाफ जांच की प्रक्रिया जारी रही।