लखनऊ वाईबीएन संवाददाता। लखनऊ विश्वविद्यालय ने अंतरराष्ट्रीय शिक्षा के क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। विश्वविद्यालय को इस शैक्षणिक सत्र 2024–25 के लिए अब तक 76 देशों से कुल 2379 विदेशी छात्रों के आवेदन प्राप्त हुए हैं, जो अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। यह उपलब्धि कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय के नेतृत्व में विश्वविद्यालय के अपनाए गए वैश्विक दृष्टिकोण और समावेशी शैक्षणिक रणनीतियों का परिणाम है।
सरकारी योजनाओं के जरिए मिले अधिकतर आवेदन
विदेशी छात्रों के इन आवेदनों में से 2153 आवेदन भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) के माध्यम से प्राप्त हुए हैं, जबकि स्टडी इन इंडिया और EDCIL जैसे सरकारी कार्यक्रमों के तहत 176 छात्रों ने रुचि दिखाई है। इसके अलावा 50 छात्र सीधे प्रवेश प्रक्रिया के अंतर्गत लखनऊ विश्वविद्यालय से जुड़ना चाहते हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन के अनुसार, आवेदन की प्रक्रिया जून के अंत तक जारी रहेगी, जिससे यह संख्या और भी बढ़ सकती है।
76 देश के छात्रों ने किये आवेदन
पिछले वर्षों के आंकड़े भी इस बढ़ती वैश्विक रुचि की पुष्टि करते हैं। वर्ष 2021–22 में जहां केवल 637 आवेदन आए थे, वहीं 2022–23 में यह संख्या 814 पहुंची। वर्ष 2023–24 में 1365 आवेदन प्राप्त हुए और अब 2024–25 में यह संख्या 2379 तक पहुंच गई है। इन छात्रों के आगमन से विश्वविद्यालय का वातावरण और भी बहुराष्ट्रीय हो गया है। आवेदन करने वाले देशों में पोलैंड, फ्रांस, स्पेन, बेलारूस, रूस, सिएरा लियोन, अंगोला, थाईलैंड, कंबोडिया, मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिया, ईरान, कज़ाखिस्तान, केन्या, नेपाल, नाइजीरिया, श्रीलंका, बांग्लादेश, मैक्सिको, यूक्रेन सहित 76 देश शामिल हैं।
शिक्षा के क्षेत्र में वैश्विक स्तर की व्यवस्था
कुलपति आलोक कुमार राय ने बताया की हमने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप वैश्विक शिक्षा प्रणाली विकसित की है। पिछले 5 वर्षों में विश्वविद्यालय के शैक्षणिक ढांचे में व्यापक बदलाव किए गए हैं, जिससे यह वैश्विक मानकों के अनुरूप हो गया है। उन्होंने बताया कि विदेशी छात्रों की सुविधा के लिए विश्वविद्यालय ने विशेष अंतरराष्ट्रीय छात्रावास बनाए हैं, जिनमें लड़कों और लड़कियों के लिए अलग-अलग प्रबंध हैं। छात्रों को आरामदायक आवास, बहुसांस्कृतिक कार्य परिवेश और वैश्विक दृष्टिकोण आधारित शिक्षण प्रणाली मुहैया कराई जा रही है।
विदेशी छात्रों पर विशेष फोकस
लखनऊ विश्वविद्यालय न केवल विदेशी छात्रों को शिक्षा प्रदान करता है, बल्कि उनके बौद्धिक, सामाजिक और व्यावसायिक विकास पर भी विशेष ध्यान देता है। विश्वविद्यालय की ओर से भाषाई चुनौतियों से निपटने के लिए नियमित कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं। साथ ही सामाजिक और सांस्कृतिक अनुकूलन में भी उनका मार्गदर्शन किया जाता है। कुलपति ने बताया कि विदेशी छात्रों के प्रवेश के लिए विश्वविद्यालय सरकार के निर्धारित सख्त मानदंडों के अनुसार स्क्रीनिंग प्रक्रिया अपनाता है, ताकि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और समर्पित शिक्षार्थी ही विश्वविद्यालय का हिस्सा बनें। इस ऐतिहासिक उपलब्धि के साथ लखनऊ विश्वविद्यालय न केवल उत्तर भारत का बल्कि पूरे देश का एक अग्रणी वैश्विक शैक्षणिक केंद्र बनकर उभर रहा है।