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Lucknow University : शोधार्थियों के लिए खुशखबरी, 17 साल बाद फिर शुरू होने जा रहा है डी.लिट प्रोग्राम

लविवि की डीन एकेडमिक्स प्रो. गीतांजलि मिश्रा ने बताया कि डी.लिट. के लिए नया आर्डिनेंस तैयार कर लिया गया है। इसे शैक्षणिक समितियों से स्वीकृति मिलने के बाद कार्य परिषद में रखा जाएगा।

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Abhishek Mishra
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Lucknow University

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। लखनऊ विश्वविद्यालय एक बार फिर से पोस्ट डॉक्टोरल डिग्री डी.लिट. में दाखिले की प्रक्रिया शुरू करने जा रहा है। करीब 17 वर्षों के अंतराल के बाद यह पहल हो रही है। अंतिम बार विश्वविद्यालय में डी.लिट. में प्रवेश वर्ष 2008 में लिए गए थे। अब इसका नया आर्डिनेंस तैयार कर लिया गया है, जिसे इसी महीने विभिन्न शैक्षणिक समितियों की बैठक में प्रस्तुत किया जाएगा।

जल्द शुरू होगी प्रवेश प्रक्रिया 

दरअसल, 2008 में जब पीएचडी के लिए नया आर्डिनेंस लागू किया गया था, तब डी.लिट. में दाखिले पर अनौपचारिक रूप से रोक लगा दी गई थी। इसके बाद यह कोर्स विश्वविद्यालय में बंद ही हो गया। लेकिन इस वर्ष विश्वविद्यालय प्रशासन ने न सिर्फ पीएचडी का नया आर्डिनेंस तैयार किया है, बल्कि डी.लिट. के लिए भी नियमावली बनाई है, जिससे अब दोनों कोर्स में एक साथ प्रवेश प्रक्रिया शुरू की जा सकेगी

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डी.लिट. की बड़ी मांग

हालांकि भारत में यह डिग्री विश्वविद्यालय या संस्थान में नियुक्ति के लिए अनिवार्य नहीं है, लेकिन शोध के क्षेत्र में इसकी विशेष प्रतिष्ठा है। खासकर विदेशों में डी.लिट. की डिग्री को काफी अहम माना जाता है। इस उपाधि के साथ शोधार्थियों को विदेशों के विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों में बेहतर अवसर मिलते हैं। इसलिए पीएचडी पूरी करने के बाद कई शोधार्थी डी.लिट. करने की दिशा में आगे बढ़ना चाहते हैं।

फेलोशिप से वंचित रह जाते हैं शोधार्थी

विज्ञान और सामाजिक विज्ञान जैसे क्षेत्रों में पोस्ट डॉक्टोरल फेलोशिप के कई अवसर मौजूद हैं, लेकिन लविवि में डी.लिट. का आर्डिनेंस न होने की वजह से शोधार्थी और यहां तक कि कई शिक्षक भी इनका लाभ नहीं उठा पा रहे थे। अब नई नियमावली बनने से यह स्थिति बदलने की उम्मीद है।

प्रक्रिया अंतिम चरण में

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लविवि की डीन एकेडमिक्स प्रो. गीतांजलि मिश्रा ने बताया कि डी.लिट. के लिए नया आर्डिनेंस तैयार कर लिया गया है। इसे शैक्षणिक समितियों से स्वीकृति मिलने के बाद कार्य परिषद में रखा जाएगा। प्रयास है कि इसी वर्ष से डी.लिट. में दाखिले शुरू हो जाएं, जिससे विश्वविद्यालय में शोध के क्षेत्र को नई दिशा मिल सके।

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