लखनऊ वाईबीएन संवाददाता। लखनऊ विकास प्राधिकरण में ऑनलाइन नक्शा पास करने की प्रक्रिया बेहद सुस्त है। इसके पीछे प्राधिकरण के ही विभिन्न अनुभागों से दी जाने वाली एनओसी(अनापत्ति) है। समय से एनओसी न मिलने से मानचित्र स्वीकृत किए जाने में देरी होती है। यही वजह है कि एलडीए में मानचित्र पास कराने के आवेदनों की संख्या कम नहीं हो रही है। शासन की ओर से समीक्षा बैठक में मानचित्र पास होने में हो रही देरी पर नाराजगी जताई व्यक्त की गई है। अनुभागों से एनओसी लेने के लिए दो अफसरों को अधिकृत किया गया है। जो सात दिन में एलडीए उपाध्यक्ष को अपनी रिपोर्ट देंगे।
मानचित्र सेल में दो अफसरों को किया गया अधिकृत
शहर में भवन निर्माण के लिए लखनऊ विकास प्राधिकरण से मानचित्र पास कराना होता है। इसके लिए ऑनलाइन व्यवस्था के तहत आवेदन करना होता है मगर विभिन्न अनुभागों से एनओसी मिलने में देरी की वजह से मानचित्र पास होने में सालों लग जाते हैं। दूसरे विभागों से एनओसी मिलना तो दूर एलडीए के ही नजूल, अर्जन, नियोजन, सीलिंग व ट्रस्ट अनुभाग से एनओसी मिलने में मशक्कत करनी पड़ती है। मानचित्र सेल के अधिकारी बताते हैं कि प्राधिकरण में बड़ी संख्या में मानचित्र स्वीकृत कराने के लिए आवेदन आते हैं। प्रक्रिया के तहत विभिन्न अनुभागों से एनओसी प्राप्त करनी होती है। मगर समय से एनओसी न मिलने पर मानचित्र स्वीकृत किए जाने में देरी होती है। इससे एलडीए की छवि धूमिल हो रही है। इसे देखते हुए एलडीए उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार ने मानचित्र सेल में दो अफसरों को अधिकृत किया है। सहायक अभियंता मानचित्र सेल अतुल शर्मा के अधीनस्थ मानचित्र सेल में कार्यरत सहायक नगर नियोजक देवेश वत्स व अवर अभियंता शुभांकर सिंह को समस्त अनुभागों में लंबित एनओसी के लिए समन्वय करते हुए एनओसी की कार्रवाई कराने की जिम्मेदारी दी गई है।
बिना पैरवी आगे नहीं बढ़ पाती है एनओसी की प्रक्रिया
नक्शा पास करने में अभियंता संबंधित वास्तुविद से संपर्क करके जानकारी जुटाते हैं और फिर रोड बाइडिंग समझने व परीक्षण करने के बाद आगे की कार्रवाई करते हैं। इससे आवेदनकर्ता को महीनों इंतजार करना पड़ता है। पहले नक्शा बनवाने के लिए वास्तु विद को फीस देने के बाद प्राधिकरण से नक्शा पास करवाने के लिए पैरवी करनी पड़ती है। इसके बाद अमीन, तहसीलदार से लेकर अनुभाग के अफसर की स्वीकृति के बाद एनओसी जारी होती है। पूरी प्रक्रिया कई बार छह से सात महीने तक लग जाते हैं। प्राधिकरण में नक्शे सैकड़ों की संख्या में लंबित हैं। बीते दिनों मानचित्र दिवस में उपाध्यक्ष नाराजगी भी जता चुके हैं।