लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं को फिर तगड़ा झटका लग सकता है। पावर कारपोरेशन (Power Corporation) प्रदेश में बिजली 1.24 प्रतिशत महंगी करने के बाद अब विद्युत दरें 10 प्रतिशत बढ़ाने की तैयारी कर रहा है। इसका प्रस्ताव जल्द नियामक आयोग में दाखिल किया जा सकता है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने यह दावा किया है। वहीं परिषद ने कहा कि ईंधन अधिभार में 1.24 फीसद की बढ़ोत्तरी उद्योगपतियों का भरोसा जीतने के लिए की गई है। निजि घरानों को विश्ववास दिलाया जा रहा कि यूपी में डरने की जरूरत नहीं है, यहां बिजली दरों में बढ़ोतरी शुरू हो चुकी है।
नियामक आयोग में लोक महत्व का प्रस्ताव दाखिल
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने अधिभार बढ़ाने के मामले में मंगलवार को उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत नियामक आयोग में लोक महत्व का प्रस्ताव दाखिल किया। इसमें आरोप लगाया कि नियम-कानून को ताक पर रखकर अप्रैल माह में बिजली बिलों में 1.24 प्रतिशत ईंधन अधिभार जोड़ा गया है। इस संबंध मेंं पावर कॉरपोरेशन की ओर से जारी आदेश गैरकानूनी है। उन्होंने आगे किसी भी महीने में बढ़ोतरी पर रोक लगाने की मांग की।
बिजली दरें बढ़ाने की तैयारी
वर्मा ने नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार और संजय कुमार सिंह को बताया कि विद्युत निगमों पर उपभोक्ताओं का 33122 करोड़ रुपये बकाया (सरप्लस) है। ऐसे में किसी भी कानून के तहत ईंधन अधिभार शुल्क नहीं बढ़ाया जा सकता है। परिषद अध्यक्ष ने दावा किया कि उपभोक्ताओं का सरप्लस होते हुए भी पावर कारपोरेशन राजस्व आवश्यक्ता (एआरआर) में संशोधन कर बहुवार्षिक टैरिफ वितरण विनियमन के तहत बिजली दरें 10 प्रतिशत बढ़ाने की तैयारी कर है। इसका प्रस्ताव जल्द आयोग में दाखिल कर सकता है।
सरप्लस बराबर होने तक रोक जरूरी
अवधेश वर्मा ने कहा कि फरवरी महीने में उपभोक्ताओं से लगभग 150 से 170 करोड़ रुपये फ्यूल सरचार्ज के रूप में वसूले गए हैं। ऐसे में मई माह में ईंधर सरचार्ज के मद में बिजली दरों में करीब दो प्रतिशत की कमी की जानी चाहिए। इस कटौती को तत्काल लागू करते हुए जब तक सरप्लस की स्थिति बराबर नहीं होती, तब तक दरों में किसी भी प्रकार की वृद्धि पूरी तरह रोकी जानी चाहिए।