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CSIR–NBRI
सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआई) ने एक नई आनुवंशिक रूप से उन्नत कपास विकसित की है, जो कीटों के प्रकोप से सुरक्षित रहेगी। इस तकनीक को किसानों तक पहुँचाने के लिए संस्थान ने नागपुर की एक कंपनी के साथ करार किया है। अनुमान है कि अगले तीन वर्षों में यह बीज किसानों को उपलब्ध हो जाएगा।
नए शोध की जरूरत क्यों पड़ी
एनबीआरआई के निदेशक डॉ. अजीत कुमार शासनी ने शनिवार को बताया कि देश में वर्ष 2002 में पहली बार आनुवंशिक रूप से संशोधित कपास पेश की गई थी। इसके बाद विकसित की गई कुछ किस्मों ने कुछ कीटों के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता जरूर विकसित की, लेकिन गुलाबी सूंडी (पिंक बॉलवर्म) के प्रकोप से पूरी तरह बचाव नहीं कर सकीं। इससे कपास की पैदावार प्रभावित होने लगी।
नई तकनीक कैसे करेगी काम
संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. पीके सिंह और उनकी टीम ने एक नया कीटनाशक जीन विकसित किया है, जो गुलाबी सूंडी के विरुद्ध अधिक प्रभावी पाया गया है। विभिन्न प्रयोगशाला परीक्षणों में यह कपास न केवल गुलाबी सूंडी बल्कि पत्ते के कीड़े और फॉल आर्मीवर्म जैसे अन्य कीटों से भी सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम साबित हुआ है।
किसानों को होगा आर्थिक लाभ
इस नई कपास किस्म से पैदावार में 20 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है, जिससे किसानों की प्रति हेक्टेयर आय लगभग 10 हजार रुपये तक बढ़ने की संभावना है। साथ ही, कीटनाशकों के कम उपयोग से प्रति हेक्टेयर करीब 2 हजार रुपये की बचत होगी और पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। नई तकनीक से किसानों को बेहतर उपज मिलेगी और कीटों से फसल को सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी।