लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता
अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में दो वरिष्ठ अधिकारियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। उप निदेशक अमृता सिंह और संयुक्त निदेशक शेषनाथ पांडेय ने एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं, जिससे विभाग में हड़कंप मच गया है। अमृता सिंह ने शेषनाथ पांडेय के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की है, वहीं पांडेय ने सिंह के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने की मांग की है।
संयुक्त निदेशक शेष नाथ पांडे का विवादों से पुराना नाता
विभाग के निदेशक अंकित अग्रवाल का कहना है कि यह पूरा मामला सक्षम अधिकारियों के स्तर पर विचाराधीन है और अगला निर्णय भी उसी स्तर से लिया जाएगा। अमृता सिंह ने अपने पत्र में आरोप लगाया है कि पांडेय ने समूह घ के पदों पर नियुक्ति के लिए अनियमित तरीके से वित्तीय सहमति दी, बलरामपुर में हुई नियुक्तियों में अनियमितताएं की, और मदरसा जामिया इस्लामिया मदनपुरा में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर परिचारक की नियुक्ति करवाई।सिंह ने यह भी आरोप लगाया है कि मेरठ में तैनाती के दौरान पांडेय ने कई स्कूलों के नाम से फर्जी खाते खुलवाकर सरकारी धन का गबन किया, केंद्र सरकार की छात्रावास योजना के फंड का दुरुपयोग किया, और गैर-अल्पसंख्यक छात्रों के खातों में अनियमित रूप से राशि भेजी। इतना ही नहीं, उन्होंने पांडेय पर छात्रवृत्ति वितरण से जुड़ी महत्वपूर्ण फाइलें गायब करवाने और गलत तरीके से पदोन्नति पाने का भी आरोप लगाया है। सिंह ने पांडेय के खिलाफ 200 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति अर्जित करने का दावा करते हुए सीबीआई और ईडी जांच की मांग की है।
संयुक्त निदेशक ने उप निदेशक के खोल दिए गबन के राज़
दूसरी ओर, शेषनाथ पांडेय ने भी पलटवार करते हुए कहा है कि अमृता सिंह अपने पद का दुरुपयोग कर रही हैं और उच्चाधिकारियों के खिलाफ झूठी शिकायतें कर रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि सिंह अपने खिलाफ चल रही जांच को प्रभावित करने के लिए जबरदस्ती उप निदेशक सहारनपुर के नाम से पत्राचार कर रही हैं। पांडेय ने दावा किया है कि सिंह ने जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी गाजियाबाद के रूप में एक करोड़ से अधिक की राशि फर्जी मदरसों के खातों में भेजकर व्यक्तिगत लाभ कमाया है, जिसकी जांच आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन कर रहा है। पांडेय ने यह भी आरोप लगाया है कि सिंह ने उनके जाली हस्ताक्षर करके फर्जी दस्तावेज तैयार किए हैं। उन्होंने सिंह के खिलाफ उचित धाराओं में एफआईआर दर्ज कराने और कार्रवाई की मांग की है, यह कहते हुए कि उनका व्यवहार कर्मचारी आचरण नियमावली के विपरीत है।