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पसमांदा मुसलमानों को भी मिले दलित आरक्षण का लाभ, पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी ने की मांग

लखनऊ, उत्तर प्रदेश। लखनऊ में रविवार को पसमांदा मुस्लिम समाज के कार्यालय पर काली पट्टी बांधकर एक बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में कांग्रेस के फैसले के खिलाफ चर्चा हुई।

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Mohd. Arslan
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पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी काली पट्टी बांधे हुए Photograph: (YBN)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता

पसमांदा मुस्लिम समाज की एक अहम् बैठक लखनऊ स्थित कार्यालय में रविवार को आयोजित की गयी जिसमें मुख्य रूप से संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी ने शिरकत की। बैठक को सम्बोधित करते हुए अनीस मंसूरी ने कहा कि पसमांदा मुस्लिम समाज अपने स्थापना दिवस से ही धारा 341 के पैरा 3 पर लगे धार्मिक प्रतिबंध का विरोध करता आया है।

आज ही के दिन मुसलमान हुए आरक्षण से वंचित

अनीस मंसूरी ने कहा कि 10 अगस्त 1950 को तत्कालीन कांग्रेस की सरकार ने मुसलमानों को आरक्षण से वंचित करने के लिए राष्ट्रपति अध्यादेश लाकर धारा 341 के पैरा 3 पर धार्मिक प्रतिबंध लगा कर पिछड़े (पसमांदा) मुसलमानों को आरक्षण से वंचित कर दिया था। अनीस मंसूरी ने कहा कि आज़ाद भारत की यह सबसे बड़ी घटना थी जिसने पसमांदा मुसलमानों को बद से बदतर जीवन यापन करने पर मजबूर कर दिया।

काली पट्टी बांधकर मनाया काला दिवस

मंसूरी ने कहा कि कांग्रेस ने धारा 341 के पैरा 3 पर धार्मिक प्रतिबंध लगा कर अपराध किया था। केंद्र सरकार को चाहिए कि धारा 341 के पैरा 3 से धार्मिक प्रतिबंध हटा कर कांग्रेस को अपराध की सज़ा दे।उन्होंने कहा कि हम पसमांदा तबके के लोग हर साल की तरह इस साल भी हाथ पर काली पट्टी बांध कर काला दिवस माना रहे हैं और जबतक पसमांदा मुसलमानों को उनका आरक्षण का अधिकार नहीं मिल जाता हमारा संघर्ष जारी रहेगा।

पसमांदा मुसलमानों को दलित आरक्षण देने की मांग

अनीस मंसूरी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने अपने हैदराबाद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पसमांदा मुसलमानों को जोड़ने के बयान से हम पसमांदा मुसलमानों को बड़ा बल मिला था लेकिन आजतक सिर्फ पसमांदा मुसलमानों के नाम पर घड़याली आंसू के सिवा कुछ नहीं किया। अनीस मंसूरी ने कहा कि केंद्र सरकार चाहे तो धारा 341 के पैरा 3 से धार्मिक प्रतिबंध हटा दे ताकि पसमांदा मुसलमानों को दलित आरक्षण का लाभ मिल सके।

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