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Neha Singh Rathore-Madri के समर्थन में निकले मार्च को पुलिस ने रोका, प्रदर्शनकारी बोले-अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला

प्रदर्शन शुरू होने से पहले ही विश्वविद्यालय के गेट को भारी पुलिस बल ने चारों ओर से घेर लिया और मौके से दर्जनों छात्रों, शिक्षकों और सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया गया।

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Abhishek Mishra
Police stopped march support Neha Neha Singh Rathore Madri

नेहा-माद्री के समर्थन में निकले मार्च को पुलिस ने रोका

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। राज्यव्यापी प्रतिरोध दिवस के अवसर पर लखनऊ विश्वविद्यालय गेट से परिवर्तन चौक तक निकाले जाने वाले शांतिपूर्ण मार्च को पुलिस ने शनिवार को जबरन रोक दिया। प्रदर्शन शुरू होने से पहले ही विश्वविद्यालय के गेट को भारी पुलिस बल ने चारों ओर से घेर लिया और मौके से दर्जनों छात्रों, शिक्षकों और सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया गया। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि यह कार्रवाई राज्य सरकार की लोकतांत्रिक विरोध को कुचलने की मंशा को दर्शाती है।

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आवाज को दबाने की कोशिश

आइसा (ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन) उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष समर गौतम ने कहा की  आज की गिरफ्तारी सिर्फ मार्च को रोकने के लिए नहीं थी, यह हर असहमति को दबाने की कार्रवाई थी। जब सोशल मीडिया पोस्ट को देशद्रोह और विरोध प्रदर्शन को अराजकता कहा जाने लगे, तो लोकतंत्र गंभीर संकट में होता है।प्रदर्शन से जुड़े संगठनों ने इसे अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला बताया है।

नेहा और माद्री पर मुकदमों की वापसी की मांग

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ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वूमेन्स एसोसिएशन (AIPWA) की राज्य कमेटी सदस्य कमला गौतम ने दो छात्राओं, नेहा और माद्री, पर दर्ज कथित फर्जी मुकदमों का मुद्दा उठाते हुए कहा की सरकार सोचती है कि गिरफ्तारी से आंदोलन रुक जाएगा, लेकिन हम जेल के भीतर हों या बाहर, संघर्ष जारी रहेगा। रिवोल्यूशनरी यूथ एसोसिएशन (RYA) उत्तर प्रदेश के संयुक्त सचिव राजीव गुप्ता ने कहा की यह लड़ाई कुछ संगठनों की नहीं, उन सभी की है जो सवाल पूछते हैं, पढ़ाते हैं, रचनात्मकता से जुड़े हैं या विचार करते हैं। इस सरकार को सच से डर लगता है, और हम डरने वाले नहीं हैं।

सोचने वालों से डरती है सरकार

जन संस्कृति मंच के कार्यकारी अध्यक्ष कौशल किशोर ने कहा की आज की कार्रवाई इस बात का संकेत है कि हमला सिर्फ विचारों पर नहीं, बल्कि संस्कृति, शिक्षा और मानवता पर भी हो रहा है। माद्री और नेहा के खिलाफ कार्रवाई इस भयावह दौर की मिसाल है। आइसा की कार्यकर्ता शंतम निधि ने कहा की अब अगर कोई गाता है तो वह संदिग्ध है, पढ़ाता है तो चरमपंथी माना जाता है, और सवाल करता है तो अपराधी बना दिया जाता है। लेकिन सरकार को यह समझना चाहिए कि जब जनता डरना छोड़ देती है, तब सत्ता की चूलें हिल जाती हैं। संगठनों ने स्पष्ट किया है कि वे अपनी मांगों को लेकर पीछे नहीं हटेंगे और नेहा व माद्री के खिलाफ सभी मुकदमों की वापसी तक आंदोलन जारी रहेगा।

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