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बिजली दरों में 30% प्रस्तावित बढ़ोतरी में नया ट्विस्ट Photograph: (YBN)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश में बिजली दरों में 30 प्रतिशत बढ़ोतरी के प्रस्ताव पर अब नया मोड़ आ गया है। उपभोक्ता परिषद ने इसका कड़ा विरोध करते हुए सोमवार को नियामक आयोग में जनता प्रस्ताव दाखिल किया है। परिषद ने तर्क दिया कि प्रदेश के उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर करीब 33,122 करोड़ रुपये सरप्लस निकल रहा है। ऐसे में दरें बढ़ाने का कोई औचित्य नहीं है। इसके विपरीत बिजली दरों में 40 से 45 प्रतिशत तक की कमी की जानी चाहिए। जिससे उपभोक्ताओं को राहत मिल सके।
13337 करोड़ सरप्लस पर अब 12 प्रतिशत ब्याज भी जुड़ा
उपभोक्ता परिषद ने आयोग को अवगत कराया कि वर्ष 2017-18 के अंत तक उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 13337 करोड़ का सरप्लस था। जब तक इसकी अदायगी उपभोक्ताओं को नहीं होती इस पर ब्याज जुड़ता रहेगा। 12 प्रतिशत ब्याज के हिसाब से 33122 करोड़ से अधिक हो चुका है। ऐसे में उपभोक्ताओं को राहत देते हुए बिजली दरों में 45 प्रतिशत की कटौती की जानी चाहिए।
संशोधित प्रस्ताव तत्काल खारिज किया जाए
इसके साथ पावर कारपोरेशन की ओर से दाखिल संशोधित प्रस्ताव तत्काल खारिज किया जाए। बिजली कंपनियों ने 10 हजार करोड़ उपभोक्ताओं से वसूली नहीं होने पर उसे घाटे में दर्ज कर दिया। जबकि बकायदार उपभोक्ता जब तक बिजली बिल का भुगतान नहीं करता उसे पर ब्याज लगता है। जबकि बकाया वसूलने की जिम्मेदारी पावर कार्पोरेशन प्रबंधन की है। उपभोक्ता परिषद ने प्रस्ताव में मांग उठाई कि विद्युत नियामक आयोग में दाखिल किए आंकड़ों सामने नहीं आए हैं। आयोग ने इस पर अभी कोई फैसला नहीं किया गया है। बिना सत्यापन आंकड़ों को पावर कॉरपोरेशन ने अखबारों में प्रकाशित करा दिया। इस जांच होनी चाहिए। पावर कॉरपोरेशन 19600 करोड़ रुपये घाटा दिख रहा है। जोकि पूरी तरह गलत है।
स्मार्ट मीटर पर 9000 करोड़ का अतिरिक्त खर्च
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आयोग के चेयरमैन अरविंद कुमार व सदस्य संजय कुमार सिंह से मुलाकात कर लोक महत्व का जनता प्रस्ताव दाखिल किया। जिसमें उन्होंने सवाल उठाया कि जब भारत सरकार ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर परियोजना के लिए 18,885 करोड़ की मंजूरी दी थी तो बिजली कंपनियों ने 27,342 करोड़ का टेंडर क्यों आवंटित किया। जिससे 9000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त लागत भविष्य में घाटे का कारण बनेगी। साथ ही उन्होंने कहा कि बिजली की खरीद लगभग 78 हजार करोड़ है। इसमें 54 प्रतिशत फिक्स चार्ज शामिल है तो सरकार ने ऐसा घाटे वाला अनुबंध क्यों किया, जो सबसे बड़ा घाटे का कारण है।
फ्री बिजली का लालच और ओवर बिलिंग का संकट
अवधेश वर्मा ने कहा कि सौभाग्य योजना के तहत 54 लाख उपभोक्ताओं को मुफ्त कनेक्शन दिए गए। इसमें से अधिकांश ने एक बार भी बिजली बिल का भुगतान नहीं किया। उन्हें यह बताया गया था कि बिजली भी मुफ्त मिलेगी; कई उपभोक्ता तो कनेक्शन लेना ही नहीं चाहते थे, लेकिन 'फ्री' के लालच में ले लिया और आज स्थिति यह है कि सौभाग्य योजना में 75 प्रतिशत उपभोक्ताओं को गलत बिल भेजे जा रहे हैं। ऐसे में पावर कॉरपोरेशन उनसे भुगतान की उम्मीद कैसे कर सकता है। जबकि मुख्यमंत्री खुद कई बार ओवर बिलिंग का मुद्दा समीक्षा बैठकों में उठा चुके हैं। उन्होंने कहा कि अब तक बिलिंग सॉफ्टवेयर में कोई ऐसा प्रावधान नहीं जो गलत बिल को स्वतः सुधार सके।