लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता
उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) में ट्रांजेक्शन एडवाइजर (टीए) की नियुक्ति के लिए तकनीकी निविदा खुलने के बाद बिजली के निजीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की तैयारी शुरू हो गई है। पावर कॉरपोरेशन 18 मार्च को टीए का टेंडर देगा। इसकी पूरी कमान यूपीपीसीएल की गठित तकनीकी मूल्यांकन कमेटी को सौंपी गई है। वहीं, उपभोक्ता परिषद ने कमेटी के सदस्यों को लेकर बड़ा खुलासा किया है। साथ ही निविदा में शामिल तीनों कंपनियों के इनकम टैक्स से जुड़े दस्तावेज मंगाए जाने की मांग की है। परिषद सोमवार को इन सभी मामलों को नियामक आयोग में दाखिल करेगा।
कंसल्टेंट कंपनियों फॉर्म 26 एएस मंगाए
उत्तर प्रदेश राज्य उपभोक्ता परिषद (UPRVUP) के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि तकनीकी मूल्यांकन कमेटी के सदस्य और बिजली निजीकरण के लिए नोडल बनाए गए निदेशक वित्त व वाणिज्य निधि कुमार नारंग से हितों के टकराव (कनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट) पर अपनी बात रखी है। उन्होंने सभी कंसल्टेंट कंपनियों के इनकम टैक्स फॉर्म 26 एएस को मंगाने पर जोर दिया। ताकि पता चल पाए कि तीनों कंपनियां देश के किस बड़े उद्योगपति के साथ काम कर रही हैं। वर्मा ने कहा कि ट्रांजेक्शन एडवाइजर का टेंडर क्यूसीबीएस पद्धति से कराया गया है। इसमें 80 नंबर मूलयांकन कमेटी तय करेगी। जबकि 20 नंबर केवल वित्तीय भाग का होगा। ऐसे में कमेटी जिसे चाहेगी, उसी को टेंडर मिलेगा।
कमेटी के 3 सदस्यों को सिर्फ तीन साल का अनुभव
अवधेश वर्मा ने कहा कि पांच सदस्यीय कमेटी में तीन निदेशक यूपी के पावर सेक्टर से तालुका नहीं रखते हैं। वह केवल तीन साल से पावर कारपोरेशन में निदेशक के रूप में काम कर रहे हैं। इसमें से एक एक मई 2025 में और दो आईटी और निदेशक कार्मिक जून 2025 में रिटायर हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि जहां दक्षिणांचल और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के 42 जिलों की बिजली निजी हाथों में देने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाया जा रहा है। वहीं इन दोनों कपंनियों में से कोई भी निदेशक कमेटी का सदस्य नहीं है। इतना ही नहीं प्रदेश सरकार के वरिष्ठ नौकरशाह भी इस कमेटी में नहीं हैं। उनका इशारा ऊर्जा मंत्री एके शर्मा की ओर था। परिषद अध्यक्ष ने दावा किया कि आने वाले समय में जब भ्रष्टाचार का खुलासा होगा तो सबसे पहले कमेटी की तरफ सभी का ध्यान जाएगा। इसलिए नौकरशाह अभी से खुद को पूरी तरह सुरक्षित रख रहे हैं।