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सिविल अस्पताल की हकीकत Photograph: (YBN)
लखनऊ वाईबीएन संवाददाता। योगी सरकार भले ही प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही हो, लेकिन राजधानी लखनऊ के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की इलाज में लापरवाही और मरीजोंं के प्रति उनका रवैया सरकार की मंशा पर पानी फेर रहा है। 'यंग भारत न्यूज' की टीम ने शुक्रवार को जब पार्क रोड स्थित डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी (सिविल) अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत जाननी चाही तो बेहद चौंकाने वाली स्थिति सामने आई। खासकर हड्डी रोग विभाग में तैनात डॉ. सीएस सिंह का मरीजों के प्रति व्यवहार बेहद असंवेदनशील नजर आया। जैसे उन्हें रोगियों से एलर्जी हो। वह मरीजों की गंभीर समस्याओं को अनदेखा करते हुए केवल खानापूर्ति कर रहे हैं।
डॉक्टर की डांट से सहमा मरीज
जियामऊ के रहने वाले मरीज ने नाम उजागर न करने की शर्त पर 'यंग भारत न्यूज' को बताया कि वह बीते 15 दिनों से पैरों के टखनों में सूजन और तेज दर्द की समस्या से परेशान है। इलाज के लिए सिविल अस्पताल पहुंचने पर सबसे पहले पर्चा बनवाया। इसके बाद हड्डी रोग विशेषज्ञ के कमरे में पर्चा जमा किया। नंबर आने पर डॉक्टर के कक्ष में दाखिल हुआ। वह जैसे ही स्टूल पर बैठा, डॉक्टर की भृकुटियां तन गईं। उन्होंने डांटते हुए कहा कि एक गज दूर जाकर बैठो। इसके बाद बिना ठीक से समस्या सुने डॉक्टर ने सरकारी पर्चे पर कुछ दवाइयां लिख दीं और बिना किसी जांच के ही चलता कर दिया।
इलाज के नाम पर खानापूर्ति
मरीज ने बताया कि उसे उम्मीद थी कि सिविल अस्पताल में बेहतर इलाज मिलेगा, लेकिन डॉक्टर का मरीजों के मर्ज से कोई लेना देना नहीं है। उसे बिना किसी परीक्षण के चार करीब दवाइयां लिख दीं। समस्या की जड़ तक जाने की कोई कोशिश नहीं की। मरीज ने कहा कि यदि डॉक्टरों का यही रवैया रहा तो सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए आने वाले गरीब और जरूरतमंद लोग कहां जाएंगे? इस संबंध में जब चिकित्सा अधीक्षक राजेश श्रीवास्तव को संपर्क करने के लिए फोन किया गया, तो उन्होंने कॉल रिसीव नहीं की।