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संविधान संरक्षण मंच राष्ट्रीय संयोजक गौतम राणे सागर
लखनऊ में संविधान संरक्षण मंच ने प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण विभाग के किए गए अनियमित शुल्क निर्धारण के खिलाफ आवाज उठाई। प्रेस वार्ता में मंच के पदाधिकारियों ने इसे आम नागरिकों के हितों के खिलाफ बताया। राष्ट्रीय संयोजक गौतम राणे सागर ने आरोप लगाया कि प्रदेश के निजी मेडिकल कॉलेजों और चिकित्सा शिक्षा विभाग के बीच मिलीभगत से चिकित्सा शिक्षा को अमीरों तक सीमित करने की साजिश रची जा रही है।
कोर्ट के आदेश का उल्लंघन
गौतम राणे ने कहा की हाई कोर्ट लखनऊ बेंच ने याचिका की सुनवाई में समान फीस का आदेश दिया था और एक फीस विनियमन समिति का गठन कर सभी कॉलेजों की ट्यूशन फीस समान रूप से तय करने की बात कही थी। लेकिन समिति ने मनमाने तरीके से अलग-अलग कॉलेजों की फीस निर्धारित की है, जो कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है और यह सीधे तौर पर आर्थिक शोषण का मामला बनता है।
फीस का अंतर परिजनों के लिए बड़ी समस्या बन
राणे ने फीस की विभिन्नता का उदाहरण देते हुए बताया की श्री राम मूर्ति स्मारक इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, बरेली में सालाना फीस 16 लाख 48 हजार 512 रुपए है, जबकि हिन्द इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, सीतापुर में यह 10 लाख 77 हजार 229 रुपए है। गोरखनाथ मेडिकल कॉलेज और केएमसी मेडिकल कॉलेज में फीस 12 लाख 58 हजार 288 रुपए प्रति वर्ष है। इस प्रकार प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में फीस का अंतर छात्रों और उनके परिजनों के लिए एक बड़ी समस्या बन गया है।
समान रूप से निर्धारित हो शुल्क
गौतम राणे ने आगे कहा की सभी मेडिकल कॉलेजों का पाठ्यक्रम, भवन मानक, छात्र संख्या, शिक्षकों की आवश्यक संख्या, छात्रावास और मेस शुल्क समान रूप से निर्धारित हैं, तो ट्यूशन फीस में भेदभाव क्यों है? उन्होंने सरकार से मांग की कि इस मुद्दे को गंभीरता से लेकर सभी मेडिकल कॉलेजों की ट्यूशन फीस समान रूप से निर्धारित की जाए।