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Sanjay Singh ने जातीय जनगणना पर सरकार के यू टर्न की बताई वजह, BJP पर लगाए गंभीर आरोप

Sanjay Singh ने कहा कि जातीय जनगणना को लेकर BJP के अचानक यू टर्न लेने के पीछे दो प्रमुख कारण हैं। पहला पहलगाम आतंकी घटना से देश का ध्यान भटकना और दूसरा बिहार विधानसभा चुनाव में राजनीतिक लाभ लेना।

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Deepak Yadav
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aap sanjay singh

संजय सिंह का बड़ा आरोप Photograph: (YBN)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। आम आदमी पार्टी (AAP) सांसद और यूपी प्रभारी संजय सिंह (Sanjay Singh) ने जातीय जनगणना का फैसले की वजह बताते हुए भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर तीखा हमला बोला है। संजय सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जातीय जनगणना की बात करने वालों को पापी तक कहा डाला था। प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी जातीय जनगणना का विरोध किया था। नितिन गडकरी इनसे एक कदम आगे थे। पूरी भाजपा जातीय जनगणना के खिलाफ थी। अनुराग ठाकुर ने सदन में इसका विरोध किया था। आप सांसद ने कहा कि जातीय जनगणना को लेकर भाजपा के अचानक यू टर्न लेने के पीछे दो प्रमुख कारण हैं। पहला पहलगाम आतंकी घटना से देश का ध्यान भटकना और दूसरा बिहार विधानसभा चुनाव में राजनीतिक लाभ लेना। इसके अलावा भाजपा का कोई मकसद नहीं है। 

भाजपा पर भेदभाव का आरोप

संजय सिंह ने कहा कि जातीय जनगणना का फैसला लेकर अपनी पीठ थपथपा रही मोदी सरकार पहले यह बताए की दस साल में उसने दलितों और पिछड़ों के लिए क्या किया। उच्च पदों पर इनके साथ भेदभाव किया जा रहा है। उन्होंने केन्द्रीय मंत्री  जितेंद्र सिंह के बयान का हवाला देते हुए कहा केंद्र सरकार में सचिव और संयुक्त सचिव के पद पर 16 एससी, 13 एसटी, 39 ओबीसी और 254 सामान्य वर्ग के लोग तैनात हैं। इसी तरह केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में 82 फीसद एससी, 93 फीसद एसटी और ओबीसी के 96 फीसद पद खाली हैं। इसके अलावा अगर हाईकोर्ट के जजों की बात करें जहां आरक्षण की व्यवस्था नहीं हैं वहां पर पूरे देश के हाईकोर्ट में 661 जज हैं। इनमें 21 एससी 12 एसटी, 78 पिछड़े और 550 जज सामान्य वर्ग के हैं। 

सरकार से जातीय जनगणना को लेकर पूछे  तीन सवाल

आप सांसद ने आरोप लगाते हुए कहा​ कि मोदी सरकार सरकारी कंपनियों के साथ एससी, एसटी और ओबीसी के भविष्य को बेच रही है। इतना ही नहीं लेटरल एंट्री के जरिए संयुक्त सचिव के पद पर नियुक्ति की है। पिछले दस साल में सफाई कर्मी, चालक, क्लर्क, सुरक्षा कर्मी, लिफ्टमैन, इंजीनियर की नियुक्ति आउटसोर्सिंग के जरिए की गई है। ऐसा करके सरकार ने आरक्षित वर्ग के हक पर डाका डालने का काम किया है। उन्होंने सरकार से जातीय जनगणना को लेकर तीन सवाल पूछे। जातीय जनगणना के लिए सरकार ने कोई टाइमलाइन तय क्यों नहीं की। के इसके लिए बजट जारी नहीं क्यों नहीं किया। इसके अलावा जातीय जनगणना के आंकड़े आने के बाद क्या सरकारी योजनाओं में मिल रहे लाभ की संख्या और आरक्षण को सरकार बढ़ाएगी। जातीय जनगणना पर सरकार का आगे का रोडमैप क्या है, इस बात को पूरा देश जानना चाहता है।

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